भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था ।
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प्राचीन भारत औद्योगिक विकास के मामले में विश्व के अनेक देशों से बहुत आगे था । भारतीय निर्यात में मसाले , मुरब्बे , इत्र , उच्च कोटि की मलमल , सूती वस्त्र , चाँदी और अच्छा लोहा शामिल था । दक्षिण भारत के आकति पत्थर हाथीदाँत की नक्काशीपूर्ण वस्तुएँ , महीन रेशम , चंदन की लकड़ी का सामान , निर्दोष मोती , सोने के आभूषण और कछुए के शैल में की गई कारीगरी की विदेशों में प्रसिद्धि थी । पर्ल मछली पकड़ना दक्षिण भारत में एक प्रमुख उद्योग था । वस्त्र उद्योग में सूती , ऊनी और सिल्क प्रमुख था । गुजरात अपने सूती वस्त्रों के लिए जाना जाता था । अरब देशों और दक्षिण - पूर्वी एशिया में गुजरात से कपड़ा भेजा जाता था । ढाका की मलमल संसार - प्रसिद्ध थी । देश में बने हार्डवुड फर्नीचर तथा कालीन दूर - दूर तक प्रसिद्ध थे । अरब व्यापारी भूमध्य सागर के माध्यम से यूरोपीय देशों को भारतीय माल उपलब्ध कराते थे । भारत को व्यापार के बल पर ही सोने की चिड़िया कहा जाता था । हमारे देश के व्यापार को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ अंग्रेजी शासन में । अंग्रेजों ने हमारे घरेलू उत्पादों का निर्माण बंद करवाकर देश को पंगु बना दिया था । अब आजादी के बाद हमारे देश के व्यापार में भारी वृद्धि हुई है । आज हमारा देश व्यापार के मामले में बड़े - बड़े देशों के समकक्ष माना जाता है ।
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