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RE: हमारा परम धर्म : दान ---- (भाग – ४)
बेहतर पोस्ट के लिए धन्यवाद मेहताजी। यदि इस बात को सच मान लिया जाय कि ईश्वर जिसे दंड दे रहा हैं, उस पर हमें दया नहीं करनी चाहिए, तो ये भी सच हैं कि उस प्राणी के प्रति हमारे मन में दयाभाव भी ईश्वर का ही आदेश हैं। और ईश्वर के आदेश को नहीं मानना भी पाप हैं।
आपका पुनः आभार
sir ji ,mera manna hai ki sab kuch agar ishwar kar raha hai to paap ka bhagidar bhi phi ishwar hi hoga na.Sab ki alag soch hoti hai ,aur usi soch ke parinam ka aur karm ka vo hi bhagidar hota hai.
ये बहुत बड़ी बहस हैं ashok roy. इसके लिए अध्यात्म के गूढ़ रहस्यो को जानना पड़ेगा।