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RE: सुख : स्वरूप और चिन्तन (भाग # २) | Happiness : Nature and Thought (Part # 2)
दया धर्म अपना ले तु बंदे,
झूठ - पाप को त्याग।
मोह माया को छोड़कर,
अपना ले तू वैराग।।
दया धर्म अपना ले तु बंदे,
झूठ - पाप को त्याग।
मोह माया को छोड़कर,
अपना ले तू वैराग।।