The Original Story of Fashion in marriage | उफ्फ ये फैशन
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नमस्ते मेरे प्रिय दोस्तों आप सब कैसे हैं। मैं @yourloveguru भारत से। आशा है कि आप सब मस्त होंगे, मैं भी ठीक हूं । समस्याओं से भरी जिंदगी और रोज-रोज की उलझनों से कुछ देर के लिए अपना ध्यान हटाने के लिए आप सब को एक प्यारी सी कहानी सुनाना चाहती हूं। जिसको सुनकर आप लोग को बहुत ही मजा आने वाला है और कहानी खत्म होने के बाद आपके मुंह से सिर्फ एक ही शब्द निकलेगा । वाह ! रे फैशन:
एक थे सुखीराम और एक थे दुखीराम। वे दोनों आपस में समधी थे। सुखीराम अपने घर में धूप में बैठकर शेव बना रहे थे तभी उनके घर में दुखीराम की चिट्ठी जाती है।
तो सुखी राम कहते हैं कि लोकल समधी हैं तो फोन भी कर सकते थे ।चिट्ठी भेजने की क्या जरूरत थी ? यही सोचते हुए और घबराते हुए जल्दी से उन्होंने अपने चेहरे की साबुन पोछी और चिट्ठी पढ़ने लगे।
चिट्ठी में लिखा था आदरणीय समधी साहब आप सब राजी खुशी होंगे मैं भी यहां पर राजी खुशी हूं।
बहुत ही भारी मन से आपसे हाथ जोड़कर यह निवेदन करता हूं की शादी को सर्दियों को टालना ही उचित होगा मैं जानता हूं कि सब कार्ड बट चुके हैं ।।सब तैयारियां हो चुकी हैं। शादी में सिर्फ 4 दिन ही बचे हैं। बहुत नुकसान होगा लेकिन कारण बहुत गंभीर है।
समधी साहब शादी महोत्सव में हम पुरुष लोग तो से भागा दौड़ी में ही काम में ही रह जाते हैं रंग चाव तो औरतों का ही होता है अगर वही शादी में मजे ना ले पाए तो फिर क्या फायदा। कल रात से ही आपकी समधन और उसकी सहेलियां मेरी जान खा रही हैं कि इतनी ठंड पड़ रही है ।जो हमने इतने महंगे महंगे कपड़े खरीदे हैं उनका फैशन हम कैसे दिखा पाएंगे । जो गहरे गले का ब्लाउज 2000 का सिलवाया है, और जो इतनी सुंदर सुंदर गहने खरीदे हैं। ठंड के कारण 235 ₹ का शॉल लपेटकर उन सब का डिजाइन ही छुप जाएगा। अगर शॉल ना पहने तो ठंड के कारण मर जाएंगे और अगर शॉल पहनते हैं तो हमारा मन मर जाएगा। यानी कुल मिलाकर मरना तोऔरतों को ही पड़ेगा।
आपकी समधन ने साफ कह दिया है कि मैं शॉल नहीं लपेट पाऊंगी। शादी में सिर्फ फेरे ही नहीं होते हैं हम औरतों का फैशन शो भी होता है। इसी में इसी में तो हम औरतें एक दूसरे के गहने और कपड़े देखते हैं कि किसका अच्छा है महंगा है और शॉल लपेटकर वो हम खराब कर दें।
फेरे तो मंदिर में भी हो सकते हैं ।और शादियों में पता चलता है कि कौन आज भी हेमा मालिनी लगता है और फोन आज की दीपिका।
क्या करूं भाई साहब मैंने आपकी समधन को बहुत समझाया कि तुमको झांकी ही दिखानी है तो पॉलिथीन पहन लो ।पापड़ सुखाने वाली तुम्हारा सारा फैशन दिखेगा तो उसका खामियाजा मुझे यह भुगतना पड़ा कि कल रात से मुझे खाना नहीं मिला है। अब बताइए इतनी गंभीर समस्या में मैं क्या करूं?
आप शादीशुदा है आप मेरी समस्या समझ रहे होंगे। मैंने उसे अपना उदाहरण भी दिया कि देखो मैं कहां तैयार होता हूं..... तो बोली आपकी तो शकल ही ऐसी है ना कुछ फबता है ना कुछ जमता है। मैं तो 25 साल से आपको देख देख कर बोर हो गई हूं।
बाकी सभी औरतों ने भी उनका समर्थन किया बोली कि अगर इतने सुंदर सुंदर कपड़े ना पहने और कोई ना देख पाए तो हम इन कपड़ों का अचार डालेंगे। वैसे ही हमारी आधी जिंदगी रसोई घर में निकल गई है और ( आधी पार्लर में )यह कहने का बहुत मन था लेकिन बोल नहीं पाया।
समधी साहब ....एक बार फिर पुनः क्षमा याचना के साथ
थोड़ा लिखा ज्यादा समझना
आपका समधी
दुखीराम
(फरवरी एंड में या मार्च के लिए मैं पंडित से बात कर लूंगा)
सुखीराम चिट्ठी को पढ़कर पत्थर से हो गए लेकिन अतिक्रमण के छज्जे की तरह झुकी हुई उनके कंधों पर उनकी पत्नी मंद मंद मुस्कुराते हुए उनकी तरफ देख रही थी।
श्रीमती जी बोली मैंने चिट्ठी पढ़ ली है । फरवरी लास्ट की शादी रख लो। हमारी श्रीमती जी का भी खुशी का ठिकाना नहीं रहा ।
Photo captured by @yourloveguru.
एक बार फिर से वाह ! रे फैशन
Thanks 🙏
@yourloveguru.
वाह भाई वाह क्या बात है मजा आ गया आपका रोचक पोस्ट पढ़कर। इसमें लिखी सभी बांते सच्च है चाहे समधी जी माने या न मानें।
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