Indian vedic months

in #vedikmonths6 years ago (edited)


आओ जाने भारत के स्वदेशी महीनों को -:
भारत में काल गणना की तीन पद्धितियां प्रचलित हैं, एक चन्द्र मास, दूसरी नक्षत्र मास और तीसरी सूर्य मास । भारत में प्राचीन काल में नक्षत्र मास से तिथियों को निर्धारित किया जाता था, वर्त्तमान में चन्द्र व सूर्य मास की पद्धति प्र!चलित है । हिन्दू त्योहारों की तिथियों को अमूमन चन्द्र मास के हिसाब से ही तय किया जाता है, एक चन्द्र मास को दो पक्षों में बांटा गया है शुक्ल पक्ष व कृष्ण पक्ष । दोनों पक्ष 14 से 15 दिन के होते हैं । शुक्ल पक्ष के 14 दिन के बाद 15 को पूर्णिमा होती है व पूर्णिमा के बाद कृष्ण पक्ष शुरू होता है जिसके 14 दिन के बाद 15 वे दिन को अमावस्या होती है । शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से लेकर अमावस्या तक एक चन्द्र मास होता है इसको अमांत चन्द्र मास कहते हैं यही मुख्य चन्द्र मास है और कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा तक भी एक चन्द्र मास होता है इसको पूर्णिमात चन्द्र मास कहते हैं । उत्तर भारत में ज्यादातर पूर्णिमांत चन्द्र मास से मास और तिथियों को निर्धारित करते हैं । सूर्य मास एक सक्रांति से दूसरी सक्रांति तक होता है । चन्द्र मास के महीनों के नाम चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, सावन, भाद्र,अश्विन, कार्तिक, मार्गशीर्ष, पौष, माघ, फाल्गुन आदि हैं और सूर्य मास के महीनों के नाम मेष, वृषभ, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्‍चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन आदि हैं । ज्यादातर लोग चंद्र मास के महीनों को सूर्य मास के महीने समझते हैं क्योंकि सक्रांति के दिन ही लोग कहते हैं कि चैत्र, वैशाख आदि महीना आ गया जबकि संक्रांति को सूर्य मास शुरू होता है । अभी अमांत चन्द्र मास का पौष मास, पूर्णिमांत चन्द्र मास का माघ मास व सूर्य मास का धनु मास चल रहा है ।

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