मदार-तंत्र
• श्वेत और बैंगनी, दो प्रकार के पुष्पों वाली मदार वनस्पति होती है। तंत्र-
• प्रयोग में श्वेत मदार ही प्रयोजनीय है। जब भी मदार-तंत्र का कोई प्रयोग करना
हो, तो उसे विधिवत् निमंत्रण देकर, रवि पुष्य योग के दिन लाना चाहिए। पौधे के
पास जाकर, उसकी जड़ या कोई भी अंश लेते समय मन-ही-मन यह मंत्र जपना
ॐ नमो भगवते श्री सूर्याय ह्रां ह्रीं ह्रूं ह्रः ओम सं जु स्वाहा ।
तदनंतर घर लाकर, उसकी पूजा करक, आवश्यकतानुसार नीचे बताए गए
चाहिए-
प्रयोगों में से कोई भी प्रयोग किया जा सकता है-
मंत्र सिद्ध मदार मूल की पूजा करने से अथवा उसका टुकड़ा ताबीज में
भरकर बाजू पर धारण करने से श्रीसौभाग्य की प्राप्ति होती है।
मदार मूल को ताबीज या काले धागे की सहायता से कमर में धारण करने
वाली स्त्री संतानवती अवश्य होती है।
मदार मूल को गोरोचन के साथ सिल पर घिसकर बनाए गए लेप का
तिलक मस्तक पर करने से सम्मोहन का प्रभाव उत्पन्न हो जाता है।
@ मदार मूल (जड़) को जल में घिसकर दंशित-स्थान पर लगाने से विष
का प्रभाव समाप्त हो जाता है।
@ मदार मूल, मैनसिल, भृंगराज और गोरोचन को एक साथ पीसकर लेप
तैयार करें। इस लेप को चंदन की भांति मस्तक पर लगाने से व्यक्तित्व गरिमामय
और सम्मोहक हो जाता है।
मदार मूल को बच के साथ पीसकर लेप बनाएं, यह लेप शरीर के जिस
भाग पर भी कर दिया जाएगा, अग्नि में उसके जलने का कोई भय नहीं रहेगा। यह
प्रभाव तभी तक रहेगा, जब तक लेप लगा रहेगा।
मदार मूल, कूट, हरिद्रा (हल्दी) और स्वयं का ताजा रक्त-इससे निर्मित
लेप द्वारा भोजपत्र पर निम्न मंत्र को अनार की कलम से लिखें। फिर उस यंत्र को
धातु या लाल कपड़े के ताबीज में रखकर दायीं
पर धारण करें। इस यंत्र के
कारण व्यक्ति में वशीकरण की अद्भुत शक्ति का समावेश हो जाता है।
मंत्र यह है-
ॐ नमो भगवते शिवचक्रे मालिनी स्वाहा ।