94 वर्ष की उम्र में एम करुणानिधि ने ली अंतिम सांस
Karunanidhi Death : तमिल राजनीति के धुरंधर डीएमके नेता करुणानिधि का मंगलवार शाम निधन हो गया। वह लंबे समय से बीमार चल रहे थे। 94 वर्ष की उम्र में उन्होंने चेन्नई के कावेरी अस्पताल में अंतिम सांस ली।
तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और तमिल राजनीति के दिग्गज नेताओं में से एक एम करुणानिधि का मंगलवार शाम देहांत हो गया। वह 94 वर्ष के थे। करुणानिधि के निधन पर तमिलनाडु में शोक की लहर है। डीएमके समर्थकों को विश्वास नहीं हो रहा है उनके नेता अब इस दुनिया में नहीं रहे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित राजनीतिक की दिग्गज हस्तियों ने करुणानिधि के निधन पर अपनी शोक-संवेदना प्रकट की है।करुणानिधि के निधन से तमिल राजनीति को दो साल के अंतराल में दूसरा बड़ा झटका लगा है। इससे पहले एआई़डीएमके प्रमुख जे जयाललिता का लंबी बीमारी के बाद देहांत हो गया था। करुणानिधि को 27 जुलाई को देर रात तबीयत खराब होने की वजह से चेन्नई के कावेरी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके लिए अस्पताल में स्पेशल आईसीयू सेटअप किया गया था।3 जून 1924 को जन्मे करुणानिधि पांच बार तमिलनाडु के मुख्यमंत्री बने। उन्होंने 10 फरवरी 1969 को पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। वह तमिलनाडु की सत्ता पर सबसे ज्यादा समय तक काबिज रहने वाले मुख्यमंत्री रहे। उन्होंने 6,863 दिन तक मुख्यमंत्री का पद संभाला।
उन्होंने 60 साल के राजनीतिक करियर में अपनी भागीदारी वाले हर चुनाव में अपनी सीट जीतने का रिकॉर्ड बनाया।
पांच बार बने राज्य के मुख्यमंत्री
डीएमके के संस्थापक सीएन अन्नादुरई की मौत के बाद करुणानिधि पार्टी के नेता बने। इसके बाद से साल 2011 तक वह पांच बार (1969–71, 1971–76, 1989–91, 1996–2001 और 2006–2011) राज्य के मुख्यमंत्री रहे। 27 जुलाई 2018 को करुणानिधि ने भारतीय राजनीत में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की। शुक्रवार को उन्होंने डीएमके अध्यक्ष के रूप में 50 साल पूरे किए। वह एेसी विशिष्ट उपलब्धि हासिल करने वाले देश के पहले राजनेता थे। 27 जुलाई 1969 को उन्होंने डीएमके पार्टी अध्यक्ष का पद संभाला था। इसके पांच महीने पहले उन्हें पार्टी के विधायक दल का नेता चुना गया था और वो पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने थे। तब से लेकर अब तक वो इस पद पर बने हुए थे।
तमिल फिल्मों में स्क्रिप्ट राइटर के रूप में की करियर की शुरुआत
तमिल फिल्म जगत में स्क्रिप्ट राइटर के रूप में करुनानिधि ने अपने करियर की शुरुआत की थी। वे द्रविड़ आंदोलन से जुड़े थे। अपने ज्ञान और भाषण देने की कला में माहिर होने की वजह से वो बहुत जल्दी एक कुशल राजनेता बन गए। करुणानिधि समाजवादी आदर्शों को बढ़ावा देने वाली ऐतिहासिक और सामाजिक कहानियां लिखने के लिए मशहूर थे।
करुणानिधि ने राजनीति में अपनी जगह बनाने के लिए तमिल सिनेमा बेहतरीन इस्तेमाल किया। उन्होंने पराशक्ति नामक फिल्म के माध्यम से अपने राजनीतिक विचारों का लोगों के बीच प्रचार करना शुरू किया। यह फिल्म तमिल सिनेमा के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुई। इसमें द्रविड़ आंदोलन की विचारधारा का समर्थन किया गया था। शुरुआत में इस फिल्म पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया था लेकिन साल 1952 में इसे रिलीज कर दिया गया। यह फिल्म बॉक्स ऑफिस में बड़ी हिट साबित हुई।