यादों का कारवां
यादों का कारवां
दोस्तों, हम जन्म लेते ही इस अनजान दुनिया से जुड़ जाते है। किसे अपना कहे, किसे पराया, कहाँ से आये है और कहाँ जाना हैं हम कुछ भी नही जानते है। वास्तविकता देखे तो पायेंगे कि इस संसार मे जो कुछ भी पाया है सब दूसरों से मिला, अपना कहने को कुछ भी नही। अगर सच जानने की कोशिश की जाये तो हम अपने आपको एक ख्वाबो की दुनिया मे पायेंगे जो सुबह होते ही खो जाती है। हमें इस जगत में जो भी मिला है जैसे जन्म, नाम, पैसा, रुतबा, मान सम्मान सबका सब किसी न किसी के द्वारा ही प्राप्त हुआ है, तो जरा सोचिए दोस्तों फिर हम मेरा मेरा कहकर क्यों इस अमूल्य धरोहर को नष्ट कर रहे है, हमारा शरीर ही वो प्रतीक चिन्ह है जिसके द्वारा हमें पहचाना जाता है, और कर्म के द्वारा इस संसार मे हमें याद किया जाता है, जिसके जितने उत्कृष्ट कर्म होंगे उसकी उतनी कीर्ति और पहचान इस संसार मे रहेंगी, सांसारिक प्राणियों के द्वारा उसको उतना पूजा जायेगा, यही ऐहसास हमारी यादों में चिर स्थायी स्थापित हो जाता है जो में हमेशा याद आता है......
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