Important Historical Places (part-1)

in #steemit7 years ago

Hello steemit friends.

#1. अहिच्छत्र – उत्तर प्रदेश के बरेली जिले मे स्थित यह नगर ईसा पूर्व छठी शताब्दी मे उत्तरी पांचाम की राजधानी थी । यहाँ के उत्खनन से प्राप्त सिक्कों के आधार पर यह ज्ञात होता है की यह नगर प्रसिद्ध भारतीय व्यापारिक एवं सांस्कृतिक केन्द्रो मे से एक था । मौर्य युग मे मूर्तिकला के प्रसिद्ध केंद्र के रूप मे यहा पर अशोक ने अहिच्छत्र नामक विशाल स्तूप का निर्माण करवाया था । यहाँ के प्रसिद्ध खंडहरो मे सर्वाधिक महत्वपूर्ण ढूह का स्तूप है, जिसका आकार चक्की की तरह है और इसी वजह से स्थानीय लोग इसे पिसनहारी का छत्र कहते है । गुप्तों के उदय से पूर्व यह नगरी नागवंशी राजाओं की शक्ति के केंद्र के रूप मे भी प्रसिद्ध थी ।

#2. अजमेर- राजा अजयदेव चौहान द्वारा 1100 मे स्थापित अजमेर नगर हिन्दू, मुसलमान, जैन, पारसी एवं ईसाइयों का समन्वय क्षेत्र माना जाता है । 1192 मे कुतुबद्दीन ऐबक ने यहाँ अढ़ाई दिन का झोपड़ा नामक मस्जिद का निर्माण करवाया था । इसके अलावा अजमेर मे तारागढ़ का किला, हिन्दुओ का पवित्र पुष्कर तीर्थ, जैनियों का रथवाला मंदिर आदि भी स्थित है ।

#3. अजन्ता- महाराष्ट्र प्रांत के औरंगाबाद जिले मे स्थित अजन्ता मे पर्वत को काटकर 29 गुफाएँ बनायी गयी है जिनकी छ्तों और दीवारों पर उत्कृष्ट चित्रकारियाँ की गयी है । वर्तमान मे यहाँ केवल छ: गुफाओं पहली, दूसरी, नौवीं, दसवीं, सोलहवीं, सत्रहवीं के अवशेष प्राप्त होते है । 19वीं व 10वीं गुफाओं के चित्र पहली शताब्दी ई.पू. के है जबकि 16वीं व 17वीं गुफाओं के चित्र गुप्त काल के है और पहली व दूसरी गुफाओं के चित्र सबसे बाद अर्थात सातवीं सदी ई. मे बनाये गये है । यहाँ के एक चित्र मे पुलकेशिन-II को एक फारसी दूत मण्डल का स्वागत करते हुए दिखाया गया है ।

#4. आमेर- जयपुर के निकट स्थित यह स्थल कछवाहों की राजधानी के रूप मे प्रसिद्ध है । मुगल सम्राट अकबर की पत्नी जोधाबाई इसी भूमि पर जन्मी थी । स्थापत्य कला के क्षेत्र मे यहाँ का किला सर्वाधिक लोकप्रिय है जिसमें हिन्दू एवं मुगल शैली का सुंदर समन्वय देखने को मिलता है ।

#5. आगरा- उत्तर प्रदेश के इस प्रसिद्ध शहर की नीव दिल्ली के सुल्तान सिकंदर लोदी द्वारा 1504 मे रखी गयी थी । कालान्तर मे मुगल सम्राटों ने इसे अपनी राजधानी बनाया । अकबर द्वारा 1565 मे बनवाया गया लाल पत्थर का किला यहीं पर स्थित है । शाहजहाँ द्वारा अपनी बेगम मुमताज़ महल की याद मे बनाया गया ताजमहल आज भी आगरा की शान बनाये हुए है । इसके अतिरिक्त यहाँ की प्रसिद्ध इमारतों में अकबर का मकबरा तथा जामा मस्जिद भी शामिल है ।

#6. अयोध्या- सरयू नदी के किनारे स्थित भारत का यह प्राचीन नगर, जिसकी गणना भारत की अन्य सात पवित्र नगरियों मे की जाती है, रामायण काल मे कौशल देश की राजधानी के रूप मे प्रसिद्ध था । यही से धनदेव का एक प्रस्तर लेख भी प्राप्त होता है जिसके आधार पर यह ज्ञात होता है कि पुष्यमित्र शुंग ने अयोध्या मे दो अवश्मेघ यज्ञों का अनुष्ठान किया था । इसके अलावा अयोध्या गुप्तकाल में एक राजनीतिक एवं धार्मिक केंद्र के रूप मे भी प्रसिद्ध था ।

#7. अमृतसर- सिक्खों का यह पवित्र तीर्थस्थल भारत के पंजाब राज्य का एक अत्यंत महत्वपूर्ण शहर है । यह शहर सिक्खों के चौथे गुरु रामदास को 1577 मे मुगल सम्राट अकबर द्वारा दिया गया था । यहाँ पर स्थित विश्व प्रसिद्ध स्वर्ण मंदिर कि नीव 1589 मे शेख मियां मीर ने डाली थी । 1919 मे घटित जालियांवाला बाग हत्याकांड के कारण अमृतसर का नाम भारतीय इतिहास के पन्नों पर सदा के लिए अंकित हो गया ।

#8. अनुराधापुर- बौद्ध ग्रन्थ महावंश के अनुसार अनुराधापुर श्रीलंका कि प्राचीन राजधानी के रूप मे प्रसिद्ध था । यह नगर एक भारतीय सामन्त अनुरोध द्वारा बसाया गया था । 250 ई.पू. मे अशोक ने यहा धुपाराम स्तूप का निर्माण करवाया और इसी स्तूप मे उसने पुरी से लाये गये महात्मा बुद्ध के एक दांत को रखवाया था । धूपाराम स्तूप के अतिरिक्त यहाँ दुत्तुजेमुनु द्वारा निर्मित रुआवेलिसिया और सावती स्तूप तथा तिस्सा के पुत्र वातागामनिक द्वारा निर्मित अभयगिरि स्तूप उल्लेखनीय है ।

#9. अंतरजीखेड़ा- उत्तर प्रदेश के एटा जिले मे स्थित अंतरजीखेड़ा एक प्रागैतिहासिक स्थल के रूप मे माना जाता है । इसकी खोज एलेक्जेंडर कनिंघम ने 1861-62 मे की थी । 1962 मे हुए उत्खनन कार्यों के दौरान यहाँ जिन संस्कृतियों का पता चला, उन्हे मुख्य रूप से चार स्तरों मे बांटा जा सकता है- 1. गैरिक मृद् भाण्ड संस्कृति, 2. कृष्ण लोहित मृद् भाण्ड संस्कृति, चित्रित थूसर मृद् भाण्ड संस्कृति एवं 4. काली चमकीली पालिश परम्परा संस्कृति

#10. अरिकामेडु- अरिकामेडु पांडिचेरी से 3 किलोमीटर दूर कोरोमंडल तट पर स्थित एक प्रसिद्ध एवं प्राचीन बन्दरगाह था, जिसके चीन, मलाया और रोम से घनिष्ठ व्यापारिक सम्बंध थे । 1945 मे ह्वीलर एवं कैंसल ने यहाँ खुदाई के दौरान अनेक रोमन बस्तियों के अवशेष प्राप्त किये थे । उत्खनन से प्राप्त सिक्कों के आधार पर इस नगर का समय प्रथम शताब्दी ई.पू. से द्वितीय शताब्दी ई. तक माना जाता है ।

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