Salute to sage Dayanand
Swami Dayanand was undoubtedly a sage but the opponents threw stones, bricks brick, but they all tolerated peacefully.
took . Swami ji mixed the great and great future in his own, Swami ji attained creative work while doing creative work.
He is also immortal; He preached the devotion of a divine in place of idol worship, the birth of a sage
,
Had to free the prison and break the bondage of caste. They wanted to free soul from bondage. Swami ji's life
The purpose of this was to break the sleep of sleep and revive the nation; indeed such acts are accomplished by the rishis only. and when
When their work is finished, we should bow in reverence with our reverence while leaving them. And we are late sage
Salute the soul. And in the path of future rishis lay the feet of your devotional flowers. Is the heart of Dayanand in our midst
Still not alive. Is not he calling us, does he keep any message for us? In the modern era - a great uprising
In the sage, he is telling us what he has always been calling for forcefully. Order of the sage is Aryavarta! Get up, wake up, it's time.
Go ahead and enter into a new era and keep on sticking to its past glory forever.
स्वामी दयानन्द निःसन्देह एक ऋषि थे पर विरोधियों ने पत्थर फेंके, ईंटें बरसाई, परन्तु उन्होंने सब शान्तिपूर्वक सहन कर
लिया । स्वामी जी ने अपने में महाभूत और महान् भविष्य को मिला दिया, स्वामी जी रचनात्मक कार्य करते हुए परमपद को प्राप्त
हुएवे मरकर भी अमर हैं, उन्होंने मूर्ति पूजा के स्थान में एक परमात्मा की भक्ति का उपदेश दिया, ऋषि का प्रादुर्भाव लोगों को
,
कारागार से मुक्त करने और जाति बंधन तोड़ने के लिए हुआ था । वे आत्मा को बंधन से मुक्त करना चाहते थे। स्वामी जी के जीवन |
का उद्देश्य मोह निद्रा तोड़ कर राष्ट्र को पुनर्जीवित करना था, सचमुच ऐसे कार्य ऋषियों द्वारा ही सम्पन्न हुआ करते हैं । और जब
उनका कार्य समाप्त हो जाय तब हमें उनको प्रस्थान करते समय श्रद्धा सहित प्रणाम करना चाहिये। और हम ऋषि की दिवंगत
आत्मा को प्रणाम करें । और भावी ऋषियों के मार्ग में अपने भक्ति पुष्पों के पाँवड़े बिछावें । क्या दयानन्द की आत्मा हमारे मध्य
अब भी जीवित नहींक्या वह हमें नहीं पुकार रही, क्या वह हमारे लिए कोई सन्देश नहीं रखती । आधुनिक युग में - घोर विप्लव
में ऋषि हमसे वही कह रहा है जिसे वह सदा बलपूर्वक कहता रहा । ऋषि का आदेश है आर्यावर्त ! उठ, जाग अब समय आ गया
है, नये युग में प्रवेश कर आगे बढ़और अपने अतीत गौरव पर सदैव सतृष्ण टकटकी लगाये रह ।
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