Ek Gazal Written by my loving Brother on 19th March 2015
एक ग़ज़ल ................................WRITTEN BY LOVING BROTHER
ज़िन्दगी मौत के पंजों से छुड़ा लाया हूँ ।
वक़्त की शाख़ से लम्हों को चुरा लाया हूँ ।।
तेज़ तूफ़ान था माझी भी नहीं था फिर भी,
अपनी कश्ती को मैं साहिल पे लगा लाया हूँ ।
शौक से क़त्ल मेरा कीजिए के मैं ख़ुद ही,
अपने काँधों पे सलीब अपनी उठा लाया हूँ ।
जो भी जी चाहे सज़ा इसको दीजिए साहिब,
दिल के टुकड़ों को मैं मुट्ठी में दबा लाया हूँ ।
बिक गई चीज़ हरेक दौरे-मुफ़लिसी में मगर,
फिर भी ' नादान ' बचा अपनी अना लाया हूँ ।
राकेश ' नादान '
! Remembering old memories...
! Reminding him that he also wrote this unique and unforgettable poetry...
! A lots of LOVE to You Bhai Shab...