Ghazal
लोग कहते हैं जिधर उनकी नज़र जाती है
जो भी शय सामने आती है संवर जाती है
जब उभरता है तसव्वुर में तेरा रुए जमाल
मेरे अन्दर कोई खुशबू सी बिखर जाती है
एक बार अपनी निगाहों की पिला दे साक़ी
जाम की पी हुई हर बार उतर जाती है
धूप दीवार से उतरी तो ख़्याल आया मुझे
ज़िन्दगी कितनी ख़मोशी से गुज़र जाती है
मुफ़लिसी, बाप, खिलौनो की दुकां, और बच्चे
देखिए कैसे कोई आरज़ू मर जाती है
Wah wah