My Eighth poetry..
Hello friends I sandeep kumar this is our eighth poem...It is in hindi.
कोयल और कौआ देखन में लागैं एक समान ,
कोयल की सुंदरता का हम कितना करी बखान,
कोयल की बोली सुनकर लोग भरत मुस्कान ,
कौआ की बोली जब सुनै इन्सान होत परेशान,
कोयल की सुंदरता का हम कितना करी बखान,
कोयल की आंखें देखन मेंं लागैं लाल रत्न समान,
मीठी बोली कोयल की सुन कविगण करत बखान,
कहें सन्दीप कोयल कै हम कितना करी बखान ,
कोयल और कौआ देखन में लागैं एक समान ,
Tell me how this poem you..
thanks for reading....
Very good picture .
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Pictures are amazing and so your poem.
Very good poem and good work