beautiful poem by nagendra
देखा जवाब मिला मुझे कि,
परेशान नहीं ठीक हूँ मैं।
तुम सोचना नहीं मुझे कभी,
तुम ढूंढना नहीं मुझे कभी,
परेशान नहीं ठीक हूँ मैं।
gitesh
जब तस्वीरे देख जाओ कभी,
जब आँखों में पानी लाओ कभी,
रुमाल निकाल पोछ सकते हो,
या इतना पानी तो सोख सकते हो
पर मुझे कुछ नहीं कहना क्योंकि,
परेशान नही ठीक हूँ मैं।
जब लिखा हुआ कुछ मिल जाए,
दिल में फिर से अरमां खिल जाए,
कुछ नहीं दबा लेना सब कुछ,
या किताब बना देना सब कुछ,
पर मुझे कभी मत पढ़ाना क्योंकि,
परेशान नहीं ठीक हूँ मैं।
याद में तुम रात गुज़ार दो अगर,
ये कोई नई बात नहीं होगी मगर,
चाँद को देखते मेरा अश्क नज़र आये,
मुँह फेर लेना अपना शायद इश्क़ मर जाये,
पर मुझे परेशान मत करना क्योंकि,
परेशान नहीं ठीक हूँ मैं।
।।गीतेश नागेंद्र।।