मेरे विचार
शीशा टूटने पर हर टुकड़े में अलग चेहरा नजर आने है व्यक्ति एक ही है अक्स अनेक इसी तरह ही मन टूटने से व्यक्ति एक ही होता है किन्तु उसमें कमी हर ओर से हजारों नजर आने लगती हैं।
किसी से चालाकी करके इतराना मत क्यों कि जब अपनी नादानी समझ में आएगी कि क्या खो दिया तब उम्र भर के लिए पछतावा के शिवाय कुछ हाथ नहीं लगेगा।