जीवन में आध्यात्म
सुबह की नमस्कार दोस्तों,
जीवन में आध्यात्मिकता के महत्व की बात की जाए तो, आध्यात्मिकता हमारे जीवन में उतनी ही आवश्यक हैं, जितना कि भोजन। भोजन से शरीर का पोषण किया जाय, तो आसानी से और उचित तरीके से शरीर अपना काम कर पायेगा, भोजन भी जितना शुद्ध और सात्विक होगा, वो उतना ही बेहतर शरीर का पोषण करेगा और शरीर को निरोग रखेगा। भोजन की अधिकता शरीर को थुथला कर देती हैं, जिससे जीवन कठिन हो जाता हैं। भोजन की अल्पता से शरीर में कमजोरी आ जाती हैं, जिससे भी परेशानियां ही होती हैं। कहने का अर्थ हैं, संतुलित आहार, उचित मात्रा में आहार, तो ही जीवन आसान।
ठीक वैसे ही जीवन में आध्यात्मिकता, न अधिक, न कम। आध्यात्मिकता की अधिकता जीवन में विरक्ति लाती हैं। सांसारिक रिश्तों, लौकिक कर्तव्यों, भौतिक वस्तुओं से मोह भंग होने लगता हैं। जो जीव के मोक्ष की दृष्टी से तो उचित हैं, पर लौकिक दृष्टी से उचित नही कहा जा सकता। आध्यात्म की अल्पता मानव के मानव बनने में बाधक होती हैं। अनेक अमानवीय घटनाएं सुनने में आती हैं, जिसका मुख्य कारण अपराधी के जीवन में आध्यात्म की अल्पता हैं। उचित आध्यात्मिकता मानव को बेहतरीन जीवन जीने की प्रेरणा देती है, मानव को सेवाभावी बनाती हैं, मानव में सद्वृत्तियां जागृत होती हैं, जिनसे दयाभाव, सेवाभाव, कर्तव्यों के निर्वहन में और जीवन में इमानदारी, जरुरतमंद की सहायता, अपने खुन के रिश्तों में प्रगाढ्ता आदि।
आध्यात्म वो नही जो किसी सन्त, फकीर या मुल्ला मौलवी नें आपको बता दिया और आपने मान लिया। जिस प्रकार का प्रचलन एक धर्म विशेष के लोगो को बहकाने के लिए किया जा रहा हैं, कि काफिरों को जीने का कोई हक ही नही हैं, उनको मारोगे तो तुम्हे जन्नत नसीब होगी। इस प्रकार की घटिया आध्यात्मिकता किसी विकृत मानसिक रोगी का फलसफां हो सकता हैं, वर्ना कोई एक इन्सान किसी दुसरे इन्सान के लिए इतनी घटिया सोच कैसे रख सकता हैं। आध्यात्म को जानना समझना हैं, तो सनातन सभ्यता से समझो, जिसका फलसफां ही ' वसुधैव कुटुंबकम् ' और " सर्वे भवन्तु सुखिन, सर्वे संतु निरामया।" अर्थात सम्पुर्ण पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणी एक ही परिवार हैं। हमारी दिन की शुरुआत ही इस प्रार्थना से होती हैं, कि सम्पूर्ण पृथ्वीवासी सुखी और निरोग रहे। जीवन में आध्यात्मिकता हो तो इस प्रकार की गुणवत्तायुक्त हो, वर्ना आजकल तो आध्यात्म के नाम पर धर्म के ठेकेदार धर्म की आड़ में अपनी स्वार्थ सिद्धि में लगे हुए हैं।
यदि आप जानना चाहते हैं, कि वस्तिक आध्यात्म, जो जीवन को बेलेंस कर के आसान बना दे और मरणोपरांत मोक्ष प्राप्त हो, तो आइये हमारे सनातन धर्म का एक मात्र ग्रंथ आपकी सभी मनोकामनाएं पुर्ण करने के लिए काफी हैं। किसी साधू, फकीर या मुल्ला मौलवी की आवश्यकता नही हैं। हमारी मद्भागवद गीता आपके जीवन को उच्च मानक देने के लिए काफी हैं।
आपका दिन शुभ हो।
सुप्रभात
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