सुप्रभात
गुड मॉर्निंग फ्रेंड्स
हमारे जीवन के अनेक बहुत महत्वपूर्ण रिश्तो को हम सिर्फ अपनी अहंकार की वजह से खो देते हैं। "वो तो मुझसे बात नही करता,मैं क्यों करू।" सम्भवतया हम सामने वाले की मानसिकता को समझने का प्रयास करते तो, शायद उस रिश्ते को बचा लेते।
कई बार हमारा अपना ही कोई अजीज मित्र या रिश्तेदार, जो दिल से हमारा बुरा नही चाहता, पर किसी ऐसे अवसर पर उसने हमारी ही गलती से कुछ गलत होनेवाला था, तो उसने सबके सामने हमें टोक दिया। हमने उस बात का बत्ंगड़ बना दिया और एक रिश्ते को खो दिया जो हमारा अनेक अवसर पर बहुत बेहतरी से मार्गदर्शन किया करता था।
अर्थिक रुप से हमारी किसी प्रकार की सहायता करने वाला संभवतया एक या दो बार करेगा, उसके बाद नही कर पायेगा और जितने बार सहायता की वो वापिस चुकता करो या उसके एहसान तले दबे रहो।
पर मानसिक रूप से हमारा मार्गदर्शन करने वाला कभी भी हमें उचित सलाह दे सकता हैं, उनको वापिस भी कुछ नही देना पड़ता और एहसान भी नही। जितनी सहायता एक उचित सलाहकार कर सकता हैं, उतनी सहायता शायद ही कोई दुसरा कर सके। इसके लिए हमें अलग अलग क्षेत्र के लोग अपने ही सर्किल में मिल जायेंगे।
रिश्तों को बनाये रखने में विश्वास रखिये। इनको तोड़ना आसान हैं, पर टूटने के पश्चात जोडना बहुत मुश्किल।
प्रसन्न रहिये, प्रसन्न रखिये।
आपका दिन शुभ हो।
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