BEST WORK अच्छे कर्म
good morning friends.
Self-churning
We often discuss this, that there is a need for improvement in the society, or the lack of man is lacking. He should do this correction, he should improve it. But you have ever heard of this, that I am lacking in this, and I am doing this correction, or doing it myself. Hardly anyone would have said this, and if told, then it would be rare.
It's not that we do not know about our shortcomings or bad habits.
You will have read this statement of a great man, "Self improvement is the biggest service of the world."
But there is more to this, "Correcting it by accepting your mistake and doing it are the most difficult works of the world."
Yes, these are difficult, but not impossible. The most important thing for this, your fellowship or your friends circle You are in the company of good people, I can definitely say that your bad habit will get rid of evil. Your holding capacity (Will Power) will be very strong.
The main reason for fear is ignorance. As you keep holding the real experiences of life, you will get knowledge of the experimental experiences of life, you will become fearless. We need to be fearless to improve ourselves. Because it requires stronger holding capacity.
Life improves with the help of good people. Remember, remembering that our inner soul is a part of the divine, can never attain happiness by enduring any living being on this creation created by the same divine, nor of salvation (Nirvana) . Duties to be done in the spirit of public welfare is only a better option for self-restraint.
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सुप्रभात दोस्तों।
आपका दिन बेहतर हो, मैं प्रभु से ऐसी कामना करता हुँ।
हम अक्सर इस बात की चर्चा करते हैं, कि समाज में फलां सुधार की आवश्यकता हैं, या फलां आदमी में ये कमी हैं। उसको ये सुधार करना चाहिए, उसको ये सुधार करना चाहिए। पर आपने कभी ये सुना हैं, कि मुझमे ये कमी हैं, और मैं अपने में ये सुधार कर रहा हुँ, या किया हैं। शायद ही किसी ने ये कहा होगा, और यदि कहा भी होगा तो वो कोई विरला ही होगा।
ये बात नहीं हैं, कि हमें अपनी कमियों या बुरी आदतों का पता नही हैं।
आपने किसी महापुरुष का ये वाक्य पढा होगा, "स्वयं का सुधार, संसार की सबसे बड़ी सेवा हैं।"
पर इसके साथ ही एक बात और भी हैं, कि "अपनी गलती को स्वीकार कर उसे सुधारना संसार का सबसे दुष्कर कार्य हैं।"
हां, ये दुष्कर आवश्य हैं, पर असम्भव नही हैं। इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात हैं, आपकी संगती अथवा आपकी मित्र मंडली। आप अच्छे लोगो की संगत में हैं, मैं निश्चित तौर पर कह सकता हुँ, कि आपकी बुरी से बुरी आदत छुट जायेगी। आपकी धारण क्षमता (विल पावर) बहुत मजबूत हो जायेगी।
डर का मुख्य कारण अज्ञानता हैं। जैसे जैसे आप जीवन के वास्तविक अनुभवो को धारण करते जाओगे, जीवन के प्रायोगिक अनुभवों का आपको ज्ञान होता जायेगा, आप निडर होते जाओगे। स्वयं में सुधार के लिए हमारा निडर होना आवश्यक हैं। क्योंकि इसके लिए मजबूत धारण क्षमता चाहिए होती हैं।
अच्छे लोगो की संगत से जीवन में सुधार होता हैं। प्रतिपल ये बात याद रहे, कि हमारे अन्दर की आत्मा परमात्मा का ही अंश हैं, उसी परमात्मा की बनायी गयी इस सृष्टि पर किसी भी जीवात्मा को कष्ट दे कर कभी भी न तो सुख की प्राप्ति कर सकते हो, न ही मोक्ष (निर्वाण) की। जन कल्याण की भावना के किये जानेवाले कर्तव्य कर्म ही आत्मोद्धार का बेहतर विकल्प हैं।
इस पोस्ट पर अपनी राय से अवगत करायें दोस्तों।
आप सभी का मंगल हो।
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