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RE: धर्म का प्राणतत्व : विनय (अन्तिम भाग # ३) [ The Life of Religion : Modesty (Final Part # 3)]
बहुत सही कहा। पुराने समय में शिक्षक और छात्र दोनों बहुत अच्छे थे लेकिन अब समय बदल गया है सबकुछ बदल गया है। न तो शिक्षक और न ही छात्र