राशिद, फूलदान और खुशी
एक युवक की कहानी, जिसने जिंदगी घर में महज एक फूलदान आने से बदल गई।
राशिद के घर एक बड़ी पार्टी चल रही थी। हाल ही में राशिद ने एक नया मोटर गैराज खोला था। उसके सारे रिस्तेदार दोस्त, बधाई देने के लिए उसके घर पंहुचे थे। राशिद के चचेरे भाई ने उससे कहा, भाई साहब, क्या किस्मत पाई है आपने। आज से लगभग एक साल पहले किसी ने सोचा भी नहीं होगा की आप एक दिन इतने बड़े गैराज के मालिक बन जायेंगे।
काश ऐसी किस्मत हमारी भी होती। राशिद बोला, एक साल पहले मैं हर चीज को गरीबी के चश्मे से देखता और खुद को कोसता था। फिर एक मुझे एक फूलदान मिला। इसी फूलदान ने मेरी जिंदगी बदल दी। वह फूलदान इतना खूबसूरत था कि मुझसे रहा नहीं गया और मैं उसे घर ले आया। दिन-रात मैं उसे निहारता रहता था।
घर में उसे रखने की जगह नहीं थी। उसे रखने के लिए मैंने घर का सारा कचरा बहार कर दिया। अगले ही दिन देखा फूलदान के पास एक मकड़ी जाला बुन रही थी। मैंने घर का सारा कचरा बाहर कर दिया। अगले ही दिन देखा फूलदान के पास एक मकड़ी जाला बुन रही थी। मैंने अपने घर के सारे जाले साफ़ कर दिए और सारे कीड़े-मकोड़ो को घर से बाहर फेंक दिया।
फूलदान बिना फूल के सुना लग रहा था, तो मैं फूल लेने गया, लेकिन पैसे ना होने के कारण फूल नहीं ले पाया। उस दिन मेने उसमे कुछ जंगली फूल डाल दिए। मुझे बहुत बुरा लगा। कुछ पैसो के लिए मैने छोटे-छोटे काम करने शुरू कर दिए। नए फूल आये, घर साफ़ हो गया, थोड़े पैसे भी आने लगे। मैं उस फूलदान का इतना दीवाना हो गया कि लोगो को किसी न किसी बहाने से फूलदान दिखाने के लिए घर लाने लगा।
धीरे-धीरे मेरे रिश्ते सुधरने लगे और लोग मुझ पर विश्वास करने लगा। उस फूलदान ने दुनिया को देखने का नाज़िरया ही बदल दिया।
तिनके का सहारा भी बहुत होता है जिंदगी बदलने के लिए।
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