Heart toching true
ये आज के विश्वगुरू भारत की हक़ीकत है। कभी बंगलादेश और पाकिस्तान की इससे कम विभत्स घटनाओं पर कलेजा चीर कर रोने वाला भारत अब खुद के सीने पर होती ऐसी घटना पर गर्वान्वित होता है।
गाय के नाम पर एक मुसलमान को भीड़ मार मार कर मार डालती है और वह पानी-पानी कहता मर जाता है।
पुलिस उसकी लाश घसीटती भीड़ का नेतृत्व करती है।
अकबरुद्दीन ओवैसी ने "15 मिनट पुलिस हटाने" का भाषण ऐसे ही पुलिसिया कृत्य के कारण दिया था , हालांकि उनके भाषण से असहमत होने के बावजूद इस सच्चाई को स्वीकार करने का कोई कारण नहीं कि मुसलमान के सामने देश की पुलिस भगवा हिन्दू हो जाती है।
यह पिलखुआ की घटना इस देश के शांतिप्रिय , बुद्धजीवी और धर्म निरपेक्ष लोगों के मुंह पर तमाचा है।
पर वह भी चुप हैं "गांधी जी के तीन बंदर" की तरह।
ऐसी घटनायें एक आम इंसान को अंदर तक झकझोर देती है ,लेकिन भगवा चोला पहने इस प्रशासन पर जूं तक नही रेंगती ।
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