Title: Betterlife with steem/ The diary game / date
आज सुबह जगने के बाद एक ख्याल आया ,वो सामान्यतः 4 वर्ष की उमर मानी जाती है जब मनुष्य प्रजाति की चेतना और बौद्धिक स्तर धीरे धीरे जमना शुरू होती है जब बच्चे याद करना शुरू करते हैं, 4 वर्ष से छोटी उमर की कोई घटना शायद ही किसी बच्चे को याद रहता हो। लेकिन आज हमें समाज में क्या दिखता है , तीन तीन साल के बच्चे Play School में डाल दिये जाते है। दरअसल इसके दो मुख्य कारण सामने निकल कर आते हैं, पहला ये कि आज के युग में माता पिता दोनो ही नौकरीशुदा है, तो कुछ देर बच्चे की इन play school में देखरेख हो जाती है, दुसरा ये कि कोई भी पेरेंट्स स्वयं को भीड़ से पीछे नहीं देखना चाहते, उन्हे ये संतुष्टि रहती है अब मेरा भी बच्चा औरो की स्कूल जाना शुरू कर दिया, कल को कोई टोक ना दे कि अरे आपका बच्चा 5 साल का होकर भी स्कूल नहीं जाता इस डर से हम सदैव बचते हैं, इसलिए चुपचाप वही करते हैं जो समाज का ट्रेंड बना हुआ है, फिर वो चाहे गलत हो या सही।
मानव समाज के अनेको अलिखित नियम हैं जिसमें एक ये भी है कि भीड़ से बस दो ही लोग अलग रहते हैं एक तो वो जिनमे आसमान चूमने की क्षमता और साहस हो, और दुसरे वो जो समाज से बहिष्कृत, तिरस्कृत लोग हो, और पहला रास्ता भी खतरनाक होता है कि अगर आप आसमान चूमने के तलबगार हो, और गलती से आपके पाँव लड़खड़ाये तो आप पतन के किस गर्त में जा गिरोगे जिसकी कोई सीमा नहीं। अब यहाँ इसके दो उदाहरण दिखा रहा हुँ।
तेनजिंग नोर्गे और एडमण्ड हिलेरी ने अपना नाम इतिहास में रच दिया लेकिन एवरेस्ट विजय का ख्वाब सजाये कितने लोगों के शव आज भी हिमालय के बर्फ में दफ्न है इससे हमें कोई सरोकार नहीं,
दुसरा ये कि ओलंपिक पदक विजेताओं पर धन और सम्मान वर्षा करते राजनेताओं, कारपोरेट वर्ग और जनता को उन खिलाड़ियों के दर्द से कोई सरोकार नहीं जो जरा सी चूक के कारण आज गुमनामी और गर्दिश के किस अंधेरे में आँशु बहा रहे हैं।
अतः धनोपार्जन का सबसे सेफ रास्ता निकल आता है विद्याध्ययन का, अतः ये अविकसित बच्चे अपना यादाश्त विकसित होने के समय से ही खुद को स्कूलों में पाते हैं, वो जिन्हें अभी ठीक से चलना नहीं आता उनमें माँ बाप को आई ए एस, आई पी एस, इंजीनियर , डाक्टर, IIM दिखना शुरू हो जाता है, फिर रेस कोर्स के घोड़े की तरह माँ बाप इन्हे दौड़ाना शुरू कर देते हैं, बस एक ही खयाल जेहन में रहता है क्या कर दुँ , मँहगे स्कूल में डाल दुँ, कोचिंग में डाल दु्, दिल्ली भेंज दुँ , अपनी पुरी कमाई फूँक दुँ, क्या करूँ कि मेरे वो अधुरे अरमान जो मैं पुरा ना कर सका उसे ये पुरा कर दे, एक तरह से देखें तो भारतीय पैरेंट्स कुछ पछतावे से भरा होता है कि काश मैं उस रोज अपने बाप के सुनकर पढ़ लिया होता , काश मैं अपने आवारा दोस्तों से दुरी बना लिया होता, तो आज मेरी ये नौबत ना आती , लेकिन अपने बच्चे के साथ वो गलतियाँ नहीं होने दुँगा।
लेकिन.. लेकिन... अब मेरा अहम् प्रश्न खड़ा होता है कि इन रेसकोर्स के घोड़ो से मानवीय रिस्तों के संवेदनाओ की उम्मीद रख सकते हैं, ये रेसकोर्स के घोड़े 25 yrs में साफ्टवेयर इंजीनियर बन के USA में चले जाते हैं, हमेशा के लिए माँ बाप से मुँह मोड़ के, एक बार पुनः माँ बाप के हाथ पछतावा ही लगता है, क्योकि एक बार फिर एक चैप्टर छूट गया , भावनाएँ, अपनापन तो हमनें पढ़ाया ही नहीं बच्चे को। मैं लिखकर दे रहा हुँ आज भारत में 90% बच्चे अपने लोगों में माँ बाप के अलावा किसी को भी नहीं पहचानते, इनका या खुद हमारा भी अहम्, इगो इतना मजबूत हो चुका होता है कि हमसे रिस्ता तोड़ने के लिए मात्र एक गलती पर्याप्त है, ये ही बच्चे पति पत्नी बनने पर आपसी प्रेम के बीच अपने मजबूत इगो को सदैव साथ रखते हैं, जो किस रोज कोमल से प्रेम को कुचल देगा , कुछ कहा नहीं जा सकता।
क्या हम सभी को ये नही लगता है ,की हम अपने कोमल बच्चों का भविष्य बनाने की चिंता में उनका चरित्र बनाना भूल जाते है
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हमें परिभाषाएं बदलनी होंगी, अन्यथा जिन पर हम पुरी जिन्दगी की कमाई दाव पर लगा के जुआ खेल रहे हैं एक रोज हम उनके लिए ही गैर हो जायेंगे।
My point is if we are teaching kids to go to US and other countries then we are making big mistake in education. Let's educate our villages and the mid intellect kids instead of spending efforts on the talented because talented will leave the India as it is. We should let go of overly intellectuals who hate the nation as it is. So if we get rid of those elements we end up focusing on our core like farmers, villages, mid tier cities and average citizens who can then progress the country. :)
#affable #india
बिल्कुल सही कहा आपने @ akrai आजकल की हमारी युथ जनरेशन सिर्फ ट्रेंड के पीछे भागने में लगी हुई है बिना पता लगाएं क्या सही है क्या गलत ..आपके विचार से मैं पूर्णतः सहमत हूँ। शुक्रिया, ऐसे ही पोस्ट करते रहिए।
वाह! बहुत ही गहरा विश्लेषण किया गया है आजकल की स्थिति का। समाज और शिक्षा दोनों में बदलाव की आवश्यक्ता है। ऐसे ही लिखते रहिए।
Hello,
@akrai
आपकी पोस्ट मेने पढ़ी आपने शिक्षा के बारे में बहुत ही अच्छे से समझाया। में आपकी कई बातो से सहमत हु। आज के युग में शिक्षण को सही तरीकेसे समझने की जरूरत है।
#affable