पुनर्जन्म एक हकीकत या मिथ्या /পুনর্জন্ম একটি বাস্তবতা বা একটি মিথ
शायद बहुत से धर्मों के लोग पुनर्जन्म की अवधारणा को नहीं मानते हैं , लेकिन इस धारना को बहुत से धर्म स्वीकार भी करते हैं।
लगभग 4 साल का छोटा दुर्जोय अपनी मां के साथ बाजार में घूम रहा था, उनका घर बाजार से ज्यादा दूर नहीं था, इसीलिए मां और बेटा दोनों बाजार से खरीदारी करके घर वापस जाने लगे।
अचानक एक वयस्क महिला उनके सामने आई। उसे देखकर दुर्जोय के कदम रुक गए और वह वहीं खड़ा होकर उस महिला को आश्चर्य से देखने लगा। दुर्जोय की मां भी समझ नहीं पाई कि अचानक क्या हो गया।
दुर्जॉय, जबकि वह महिला न तो दुर्जोय को जानती थी और न ही दुर्जोय उससे कभी कहीं मिला था।
तभी दुर्जोय ने अपनी मां का हाथ छोड़ा और उस महिला की ओर दौड़कर चिल्लाया, "रुको इशानी, मैं आ रहा हूं।"
दुर्जॉय की मां को बहुत आश्चर्य हुआ कि एक छोटा बच्चा एक युवा महिला को नाम से पुकार रहा था।
दूसरी ओर, महिला भी एक बच्चे को अपना नाम पुकारते देखकर चौंक गई और उसने उन्हें रोककर दुर्जोय से पूछा, "तुम किसे पुकार रहे हो, मेरे बच्चे?"
दुर्जोय ने बहुत ही जोरदार तरीके से उस महिला से कहा, अरे मेरी जान, "तुम मुझे नहीं पहचानती, मैं तुम्हारा पति देबांशु हूँ?"
इशानी ने गुस्से में कहा, तुम क्यों मजाक कर रही हो, मेरे पति को मरे हुए 5 साल से ज्यादा हो गए हैं, और तुम बहुत छोटे बच्चे हो। क्या तुम सब मजाक कर रहे हो?
दुर्जॉय की माँ भी अचानक दुर्जोय को इस तरह से व्यवहार करते देख परेशान हो गई, वहाँ भीड़ लग गई और सभी इस स्थिति का आनंद ले रहे थे। तभी दुर्जोय की माँ ने ईशानी से कहा कि हमें कहीं बैठकर बात करनी चाहिए। यहाँ भीड़ में यह मजाक बन जाएगा।
ईशानी दुर्जोय और दुर्जोय की माँ पास के एक रेस्टोरेंट में जाकर बैठ गईं।
रेस्टोरेंट में बैठकर दुर्जोय ने इशानी से कहा की वो उसका पति हे और उसे अभी ४-५- साल पहले इशानी के घर पर हृदय गति रुकने से मृत्यु हो गयी थी. फिर उसने कहा मुझे मेरे घर लेकर चलो में तुमको अपने सामन दिखा दूंगा और वह तुम्हारी दी हुई जो चीजें मैंने संभाल कर रखी हुई हैं वो भी दिखाऊंगा।
दोनों औरतें हेरात भरी निगाहों से दुर्जोय की बातें सुन रही थी उनको विश्वास ही नहीं हो रहा था , लेकिन फिर भी वो दुर्जोय को लेकर इशानी के घर पहुंचे। वहां पहुंचकर दुर्जोय खुद आगे चलते हुए अपने कमरे में पंहुचा और उसने प्र्राणे सामानों में से कुछ ऐसी चीजें निकाल कर दिखायीं जिनके बारे में सिर्फ इशानी के पति देबांशु को ही मालूम था।
अब जाकर दोनों महिलाओं को विश्वास हुआ की दुर्जोय एक पुनर्जन्म का मामला हे जिसकी पुनर्जन्म यादें इशानी को अचानक बाजार में सामने देखकर ताजा हो गयी थी '
अब दोनों ही औरतों की मुश्किलें बढ़ गयी थी एक तरफ इतने छोटे बच्चे को पति के रूप में स्वीकार करना नामुमकिन था दूसरी तरफ एक माँ अपने ४ साल के बच्चे को किसी और के साथ उसके घर नहीं भेज सकती थी.
बस अब उन दोनों को अपनी अपनी भावनाओं पर नियंत्रण रखने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था.
इस कहानी को पढ़ने के लिए मै अपने तीन दोस्तों को आमंत्रित करना चाहता हु, कृपया इस कहानी पर अपनी टिप्पणी अवश्य दें।
@sampbiswas
@piya3
@sualeha
सभी को धन्यवाद इतने धैर्य से मेरी कहानी पढ़ने के लिए , आशा हे आपको पसंद आयी होगी.
आपका दोस्त,
বাংলা সংস্করণটি গুগল থেকে অনুবাদ করা হয়েছে।
সম্ভবত অনেক ধর্মের লোকেরা পুনর্জন্মের ধারণায় বিশ্বাস করে না, তবে অনেক ধর্মও এই ধারণাটিকে গ্রহণ করে।
চার বছরের ছোট দুর্জয় তার মায়ের সাথে বাজারে ঘোরাফেরা করছিল তাদের বাড়ি বাজার থেকে বেশি দূরে নয়, তাই মা ছেলে দুজনেই বাজার থেকে কেনাকাটা করে বাড়ি ফিরতে শুরু করে।
হঠাৎ এক প্রাপ্তবয়স্ক মহিলা তাদের সামনে হাজির। তাকে দেখে দুর্জয়ের পা থেমে গেল এবং সে সেখানে দাঁড়িয়ে অবাক হয়ে মহিলাটির দিকে তাকাতে লাগল। দুর্জয়ের মাও বুঝতে পারেননি হঠাৎ কী হল।
দুর্জয়, যদিও মহিলাটি দুর্জয়কে চিনত না বা দুর্জয় তার সাথে কোথাও দেখা করেনি।
তখন দুর্জয় তার মায়ের হাত ছেড়ে দিয়ে মহিলার দিকে দৌড়ে গিয়ে চিৎকার করে বলল, দাঁড়াও ঈশানী, আমি আসছি।
দুর্জয়ের মা খুব অবাক হলেন যে একটি ছোট শিশু একটি যুবতীকে নাম ধরে ডাকছে।
অপরদিকে, একটি শিশুকে তার নাম ধরে ডাকতে দেখে মহিলাটিও হতবাক হয়ে যান এবং তিনি তাদের থামিয়ে দুর্জয়কে জিজ্ঞাসা করেন, "বাচ্চা, তুমি কাকে ডাকছ?"
দুর্জয় খুব জোর করে ভদ্রমহিলাকে বলল, ওহ আমার প্রিয়, তুমি আমাকে চিনতে পারছ না, আমি তোমার স্বামী দেবাংশু?
ঈশানী রেগে বললো, ঠাট্টা করছো কেন, আমার স্বামী মারা গেছে ৫ বছরের বেশি হয়ে গেছে, আর তুমি খুব ছোট বাচ্চা। আপনি কি সব মজা করছেন?
হঠাৎ দুর্জয়ের এমন আচরণ দেখে দুর্জয়ের মাও আঁতকে উঠলেন, সেখানে ভিড় জমে গেল এবং সবাই এই অবস্থা উপভোগ করছিল। তখন দুর্জয়ের মা ঈশানিকে বললেন, আমরা যেন কোথাও বসে কথা বলি। এখানে ভিড়ের মধ্যে এটি একটি রসিকতা হয়ে উঠবে।
ঈশানী দুর্জয় আর দুর্জয়ের মা গিয়ে পাশের একটা রেস্টুরেন্টে বসলো।
রেস্তোরাঁয় বসে দুর্জয় ঈশানীকে জানায়, সে তার স্বামী এবং মাত্র ৪-৫ বছর আগে ঈশানীর বাড়িতে হৃদযন্ত্রের ক্রিয়া বন্ধ হয়ে মারা গেছে। তারপর বললেন, আমাকে আমার বাড়িতে নিয়ে যাও, আমি তোমাকে আমার জিনিস দেখাব এবং আমি তোমার দেওয়া জিনিসগুলিও দেখাব।
মহিলারা বিস্মিত চোখে দুর্জয়ের কথা শুনছিল, তবুও তারা দুর্জয়কে নিয়ে ঈশানীর বাড়িতে পৌঁছে গেল। সেখানে পৌঁছানোর পর দুর্জয় নিজেই এগিয়ে গিয়ে নিজের রুমে পৌঁছে তার ব্যক্তিগত জিনিসপত্র থেকে কিছু জিনিস বের করে যা শুধু ঈশানীর স্বামী দেবাংশুই জানতেন।
কেবলমাত্র এখন উভয় মহিলাই বিশ্বাস করেছিলেন যে দুর্জয় পুনর্জন্মের ঘটনা ছিল যার পুনর্জন্মের স্মৃতিগুলি হঠাত্ করে বাজারে ঈশানিকে তাদের সামনে দেখে তাজা হয়ে যায়।
এখন উভয় মহিলার অসুবিধা একদিকে যেমন একটি ছোট বাচ্চাকে স্বামী হিসাবে গ্রহণ করা অসম্ভব ছিল, অন্যদিকে একজন মা তার 4 বছরের সন্তানকে অন্য কারও সাথে তার বাড়িতে পাঠাতে পারেননি।
এখন তাদের দুজনের আবেগ নিয়ন্ত্রণ করা ছাড়া আর কোন উপায় ছিল না।
আমি আমার তিন বন্ধুকে এই গল্পটি পড়ার জন্য আমন্ত্রণ জানাতে চাই, দয়া করে এই গল্পটি সম্পর্কে আপনার মন্তব্য করুন।
@sampabiswas
@piya3
@sualeha
এত ধৈর্য ধরে আমার গল্পটি পড়ার জন্য সবাইকে ধন্যবাদ, আমি আশা করি আপনি এটি পছন্দ করেছেন।
তোমার বন্ধু,
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