आज में बोहत ही प्रवित्र और बोहत ही महत्व वाली जगह पर आया हु।
आज में बोहत ही प्रवित्र और बोहत ही महत्व वाली जगह पर आया हु। जिस जगह का नाम आखरी मंजिल हे। जहा हर इंसान को आना हे। जिसे सभी लोग कब्रिस्तान केहते हे। मरने के बाद इसी जगह पर हमें दफनाया जाता हे। क्यों के मरने के बाद कोई भी हमें अपने घर में नहीं रहने देते ,क्यों के उनको मरने वाले इंसान के साथ रेहना पसंद नहीं हे।
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आज में अपने गांव के कब्रिस्तान में यहाँ हु मेरे गांव का कब्रिस्तान बोहत ही हरा भरा हे जहा भी आप देख ते हे आपको हरे भरे पेड़ नजर आने वाले हे। क्यों के हर साल कब्रिस्तान में पेड़ो को रोपा जाता हे। और हर तरह के पेड़ होते हे। इसी वजह से आज आप इस जगह पर इतने सारे पेड़ देख सकते हे। इस जगह पर बोहत से लोग आते हे। क्यों के हप्ते ,मे ऐक बार इस जगह पर आना बोहत ही जरुरी हे। हमें अपनी मोत को याद करना जरुरी हे। बोहत से लोग मोत को भूल गये हे। दुनिया की मोहबत में सब कुछ भूल बैठे हे। हर मुस्लमान को हप्ते में ऐक बार कब्रिस्तान जाना जरुरी हे। आज मुझे भी बोहत ही अच्छा लगा यहाँ आके। क्यों के मुझे भी मरने के बाद यहाँ आना हे।
سیدھا قبرستان سے سورج غروب کا منظر، کمال ہو تم بھی