शेख अब्दुल कादिर जिलानी
शेख अब्दुल कादिर जिलानी, जिन्हें शेख अब्दुल कादिर अल-जिलानी या साधारणतः अल-ग़ाज़ाली के नाम से भी जाना जाता है, 11वीं और 12वीं सदी में जीवित थे। वे प्रमुख इस्लामिक विद्वान, दारसगाहकार और सूफ़ी संन्यासी के रूप में मान्यता प्राप्त हैं और विशेष रूप से सूफ़ी परंपरा के अंदर इस्लामी इतिहास में सर्वाधिक प्रभावशाली व्यक्तियों में से एक माने जाते हैं। शेख अब्दुल कादिर जिलानी के जीवन और उनके शिक्षाओं ने दुनियाभर के मुस्लिमों के आध्यात्मिक विकास पर गहरा प्रभाव डाला है।
शेख अब्दुल कादिर जिलानी 1077 ईस्वी में (471 AH) इरान के जिलान शहर में जन्मे थे। वे एक विद्वान परिवार से संबंध रखते थे और धार्मिक पृष्ठभूमि में मजबूती से बढ़ रहे थे। कम उम्र में ही उनमें असाधारण बुद्धिमत्ता और धार्मिक मुद्दों के प्रति गहरी रुचि प्रकट हुई। उन्होंने अपने समय के प्रसिद्ध विद्वानों के नीचे अध्ययन किया, जिससे उन्हें शास्त्रार्थ, दारसनिकता, कुरानी अध्ययन और हदीस (पैगम्बर मुहम्मद के वचन और कार्य) जैसे विभिन्न इस्लामी विषयों की व्यापक समझ मिली।
अपनी किशोरावस्था में, शेख अब्दुल कादिर जिलानी एक आध्यात्मिक खोज और चिंतन की यात्रा पर निकले। उन्होंने कई सूफ़ी गुरुओं के मार्गदर्शन का साथ लिया और खुद को तासूफ़ (सूफ़ीज़म) की शिक्षाओं में डुबकी मारी। उन्होंने इराक, सीरिया और पर्शिया सहित इस्लामी दुनिया के कई भूमिकाओं में यात्रा की, ज्ञान और आध्यात्मिक प्रबोधन प्राप्त करने की इच्छा रखते हुए।
शेख अब्दुल कादिर जिलानी ने अंततः इराक के बगदाद में बसने का निर्णय लिया, जहां उन्होंने Qadiriyya नामक एक प्रसिद्ध सूफ़ी संघ की स्थापना की। यह संघ एक बड़ी और प्रभावशाली सूफ़ी संघ बन गया, जिसने विभिन्न पृष्ठभूमि और क्षेत्रों से अनुयायों को आकर्षित किया। शेख अब्दुल कादिर जिलानी की शिक्षाएं मन की शुद्धि, आध्यात्मिक साधना और दाखिल ख़ुदा (तौहीद) की महत्ता पर जोर दिया।
शेख अब्दुल कादिर जिलानी के जीवन के दौरान उन्होंने सामाजिक कल्याण और आवश्यकतामंद लोगों की सहायता में सक्रिय रूप से योगदान दिया। वे गरीबों, ग़रीबों, असहाय लोगों और दरिद्र लोगों की मदद करने के लिए समर्पित रहे।