नियमित तोरी की सब्जी खाते रहोगे तो जीवन भर कोई बीमारी आपको छू भी नहीं सकेगी

in #health6 years ago (edited)

नमस्कार दोस्तों, आज हम तोरी के फायदे जानेगें, तुरई यानि तोरी गर्मी के मौसम में आने वाली एक बेहद ही शानदार सब्जी है। यह अपनी कड़ी धारियों से पहचानी जाती है, हालांकि यह बिना धारी की भी होती है। तोरई जब छोटी, कच्ची और हरी होती है तभी सब्जी बनाने में काम आती है, पकने के बाद तुरई की धारियाँ बहुत कड़ी हो जाती है। तब इसे स्क्रबर की तरह काम लिया जाता है, तुरई दुनिया भर में उगाई जाती है। अलग अलग जगह इसे अलग नाम से पुकारा जाता है।
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आईये जानते हैं तोरई के शानदार फायदे

तोरी बहुत ही हल्की और शीतल प्रभाव वाली होती है, क्षारीय प्रकृति की होने के कारण शरीर पर ठंडा प्रभाव डालती है। पित्त प्रकृति वाले लोगों के लिए फायदेमंद होती है। गर्मी के मौसम में इसका उपयोग लू लगने से बचा सकता है, तुरई खून साफ करती है तथा खून की कमी दूर करती है।

जो लोग नियमित शराब पीते हैं उनके लिए ये। बहुत फायदेमंद है, यह लीवर को मजबूत बनाती है और शराब पीने के कारण लीवर को हुए नुकसान को कम कर सकती है, तोरई खाने से रक्त में तथा पेशाब में शक्कर की मात्रा कम होती है अतः डायबिटीज वाले लोग इसे खा सकते हैं, इसके फायबर कब्ज को मिटाकर बवासीर में आराम पहुंचाते हैं। तुरई के नियमित उपयोग से बवासीर Piles में बहुत लाभ होता है।

ये सब्जी बालों के लिए भी शानदार साबित हुई है, तोरी बालों को असमय सफ़ेद होने से रोकने के लिए घरेलु नुस्खे की तरह काम करता है। इसके लिए तुरई को छिलके सहित काट कर सुखा लिया जाता है, इसे पीस कर पाउडर बनाया जाता है और इसे तेल में मिलाकर बालों में लगाने से बालों का सफ़ेद होना कम हो जाता है।

स्किन को खूबसूरत बनाने में तोरी ख़ास है, यह त्वचा को नर्म और जवां बनाता है तथा शरीर से डेड स्किन को हटाता है। इससे स्किन स्मूथ और चमकदार हो जाती है। यह शरीर से पसीने की बदबू को भी दूर करता है।

बच्चों के पेट में अक्सर कीड़े हो जाते हैं, पेट के कीड़े मिटाने के लिए एक तुरई को दो गिलास पानी में उबालकर नमक मिलाकर दिन में दो बार पीने से पेट के कीड़े नष्ट होते है, इसमें एंटी-वायरल तथा एंटी-फंगल गुण होने के कारण तोरई का नियमित उपयोग करने से जुकाम जैसे रोग दूर रहते है।

होम्योपेथी की कई दवाओं में तुरई का सत्व काम लिया जाता है। तुरई की पत्तियाँ पीस कर इसमें पिसा लहसुन मिलाकर लगाने से कुष्ठ रोग मे लाभ होता है, तुरई के बीज से निकाला गया तेल त्वचा रोग में फायदेमंद होता है।

पेट के रोगियों के लिये तो ये किसी अमृत से कम नहीं, तोरई में पानी की मात्रा अधिक होती है साथ ही इसमें फायबर भी भरपूर होता है। यह वजन कम करने में सहायक होता है। तुरई के पत्ते का रस लगाने से कीड़े मकोड़े के काटने से आई सूजन कम हो जाती है, तोरई का उपयोग पीलिया तथा लीवर से संबधित परेशानी दूर करने में औषधि का काम करता है। इसका इस्तेमाल भोजन में करने से पेट के अल्सर में आराम मिलता है तथा अपच की समस्या दूर होती है। इसके जलन सूजन आदि दूर करने का गुण पेट की तकलीफ से मुक्ति दिलाता है।

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