गीता का रहस्य The secret of the Gita Hindi and english

in #gita6 years ago (edited)

गीता का रहस्य | Hindi Storie

एक बार महात्मा गाँधी के पास एक व्यक्ति गीता का रहस्य जानने के लिए आया| उसने महात्मा गाँधी से गीता के रहस्य के बारे में पुछा| गाँधी जी उस समय फावड़े से आश्रम की भूमि खोद रहे थे| उन्होंने उस व्यक्ति को पास बिठाया और फिर से आश्रम की भूमि खोदने में लग गए| इसी तरह काफी समय हो गया लेकिन महात्मा गाँधी उस व्यक्ति से कुछ नहीं बोले| आखिर में अकेले बैठे-बैठे परेशान होकर वह व्यक्ति महात्मा गाँधी से बोला – “में इतनी दूर से आपकी ख्याति सुनकर गीता का मर्म जानने के लिए आपके पास आया था लेकिन आप तो केवल फावड़ा चलाने में लगे हुए हैं|

गाँधी जी ने उत्तर दिया – “भाई! में आपको गीता का रहस्य ही समझा रहा था|” महात्मा गाँधी की बात सुनकर वह व्यक्ति बोला – आप कहाँ समझा रहे था आप तो अभी तक एक शब्द भी नहीं बोले| गाँधी जी बोले – “बोलने की आवश्यकता नहीं है| गीता का मर्म यही है कि व्यक्ति को कर्मयोगी होना चाहिए| बस फल की आशा किए बगेर निरंतर कर्म करते चलो| यही गीता का मर्म है|”

गाँधी जी के इस उत्तर को सुनकर व्यक्ति को गीता का रहस्य समझ में आ गया|

तो दोस्तों इस कहानी का तर्क यही है, कि “व्यक्ति को फल की चिंता किए बगेर हमेशा कर्म करते रहना चाहिए|

The secret of the Gita. English Storie

Once a person came to know the secret of the Gita by Mahatma Gandhi. He asked Mahatma Gandhi about the mystery of the Gita. At that time Gandhiji was digging the Ashram's land with shovel. He settled that person and again started digging the Ashram's land. Likewise it was a long time but Mahatma Gandhi did not say anything to that person. In the end, sitting alone and sitting alone, the person spoke to Mahatma Gandhi - "After hearing your fame from so far, you came to know the essence of the Gita but you are only engaged in running shovel.

Gandhiji replied - "Brother! In this you understood the mystery of the Gita. "When the person heard Mahatma Gandhi, he said that person - where you were explaining, you have not even spoken a word yet. Gandhiji said - "There is no need to speak. The principle of the Gita is that the person should be a Karmayogi. Just do bajers continuously do the work of hope for the fruit. This is the heart of the Gita. "

Listening to this reply of Gandhi, the person came to understand the secret of the Gita.

Friends, the reasoning of this story is that, "If you are worried about the fruit, you should always keep working.

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