'" हे अर्जुन! धर्म का.........................
'" हे अर्जुन! धर्म का जो विधान किसी दूसरे ने बनाया हो वो तुम्हारा धर्म नहीं हो सकता| तुम्हारा धर्म वही है जिसे तुमने स्वयं बनाया हो I जिसे तुम्हारी आत्मा ने स्वीकार किया हो!
'" हे अर्जुन! धर्म का जो विधान किसी दूसरे ने बनाया हो वो तुम्हारा धर्म नहीं हो सकता| तुम्हारा धर्म वही है जिसे तुमने स्वयं बनाया हो I जिसे तुम्हारी आत्मा ने स्वीकार किया हो!