Beautiful thought
जिसे दर्द और दुःख का अनुभूति महसूस नहीं होती उसे किसी के सहानुभूति की आवश्यकता नहीं होती सहने की पराकाष्ठा को पार करने बाद अनुभूति दामन छोड़कर परे निकल जाती है।
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