Beautiful thought
अंतहीन सिलसिला शुरू हुआ पछताने का कोई पा कर पछताया तो का कोई बहुत शिक्षित होकर पछतावा कोई सच जानकर पछताया कोई झूठ बोलकर पछताया कोई परदेश जाकर पछताया कोई घर में बैठकर ही पछताया कोई प्यार करके पछताया कोई धोखा देकर पछताया कोई शादी करके पछताया तो कोई कुंवारेपन से पछताया कोई बहू लाकर पछताया तो दमाद लाकर पछताया कोई निसंतान रहकर पछताया तो कोई संतान को पैदा कर पछताया कोई सबसे जुड़े रहकर पछताया तो कोई सबसे छूटकर पछताया कोई कोई रूठकर पछताया तो टूटकर पछताया कोई तो दुनिया में आकर पछताया बस यही सिलसिला चला और चलता गया बस जिंदगी तो नासमझ ही सही मायने में जी पाया जिसने न कुछ पाने की लालायत पाली न कुछ खोने का डर उसी का डंका बजा है।