Deep Introspection

in #amity3 years ago

(दिल से साबित करो के ज़िंदा हो ,
सांस लेना कोई सुबूत नहीं )

सामने खुशीआं लुट रही
और तुम , न रो रहे, न नाच रहे ,
कुछ तो रोंगटे खड़े हो दुनिया वालो के |
ऐसा भी क्या जीना,
कि उंच-नीच के खंजरो से हर बार बच जाओ |
दुनियावालो को सफ़ेद दांत से ज्यादा
सफ़ेद चद्दर पसंद आती है|
लिप्टो उसी चद्दर में -
लोगो को होश में लाने से पहले ,
उन्हें झटका लगाना ज़रूरी है |

(दिल से साबित करो के ज़िंदा हो ,
सांस लेना कोई सुबूत नहीं )

हाथों से ज़िन्दगी फिसल रही
और तुम , न रो रहे न नाच रहे ,
कुछ तो हादसों से घिरो दुनिया वालो के लिए |
ऐसा भी क्या जीना,
की नागो की बस्ती में मकान हो
और ज़हरीली फुहारों से हर बार बच जाओ |
दुनियावालो को मीठी किलकारियों से ज्यादा
धीमा ज़हर पसंद आता है |
पियो वही ज़हर महफ़िल सजा कर -
लोगो को होश में लाने से पहले ,
उन्हें अजीब हरकत दिखाना ज़रूरी है |

(दिल से साबित करो के ज़िंदा हो ,
सांस लेना कोई सुबूत नहीं )

अपने ही क़त्ल का इलज़ाम खुद पे लगा हो,
और तुम न रो रहे न नाच रहे ,
कुछ तो तरस खाओ दुनियावालो की नाकाम साज़िशों के लिए |

ऐसा भी क्या जीना,
के सच बोलने की आदत हो ,
और तमाचो तमंचों से हर बार बच जाओ |
दुनियावालो को हर साल दिवाली के अनारों की रंगीली आग से ज्यादा
जंगलो की फ़ैलती आग और दिलों मैं पनपती नफरत पसंद है |
जलो उसी आग में -
लोगो को होश में लाने से पहले ,
उन्हें गरमी का एहसास कराना ज़रूरी है |

(दिल से साबित करो के ज़िंदा हो ,
सांस लेना कोई सुबूत नहीं )

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