Nakara diwaan(नकटा दीवान)
एक राजा का दीवान बहुत धुत था। इसलिए राजाने उसका
नाक काटकर देश के बाहर निकाल दिया था। दीवान ने सोचा कि
साधुओ में जाने से सब अवगुण छिप जाते हैं। ऐसा सोच कर उसने
साधु का रूप धारण कर लिया। जगह-जगह कथा कीर्तन करने लगा।
पढ़ा लिखा होने से बहुत सुन्दर प्रवचन करने लगा। हजारों लोग उसके
प्रवचन सुनने के लिए आते थे। किसी भक्त ने पूछा कि महाराज
आपके इस नाक को क्या हो गया है।
धुर्त साधू ने कहा कि ‘‘मैं एक बार हिमालय यात्रा में जा रहा
था। रास्ता भूलने के कारण मैं एक भयंकर गुफा में चला गया।
अन्दर एक सन्त के दर्शन हुए उसके प्रकाश से सारी गुफा जगमग हो
गयी थी। मैं चरणों में गिरा और चरण पकड़ लिये । महात्मा ने कहा
कि ‘‘मांगों बेटा’’ । तब मैने कहा कि मैं भगवान का दर्शन करना
चाहता हूं। गुरुजी ने कहा कि कोई दर्शन तो दुर्लभ हैं, कोई दूसरी
वस्तु धन माया मांगो । मेरे धनमाया की तो कोई कमी नहीं। मैं तो
प्रभु के दर्शन बिना आपके पैर छोड़ेगा ही नहीं।
A king's divan was very clean. Therefore, the King
The nose was thrown out of the country. Diwan thought that
Going into a sadhu, all the obstacles are hidden. Thinking that
Took the form of a monk. Instead of doing katha in place
Having written it, started writing very beautiful discourses. Thousands of people
They used to listen to the discourse. Some devotee asked that Maharaj
What has happened to your nose?
Dhunda sadhu said, "I am going to the Himalaya Yatra once
Was there. Due to forgetting the way I went into a fierce cave.
In the presence of a saint in his light, all the cave is illuminated
Had gone I fell into the stages and hold the phase. Mahatma said
That "demands son". Then I said that I would see God
Want to Guruji said that any philosophy is rare, some other
Demand for the object money Maya. There is no shortage of my money I am
The Lord's vision will not leave your feet without your feet.
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