क्या है हैप्पी होम ? | What is Happy Home?

in #life6 years ago

क्या है हैप्पी होम ? | What is Happy Home?

मानव जीवन में तीन पड़ाव प्रमुख हैं –
१) जन्म
२) जीवन
३) मृत्यु
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जन्म और मृत्यु – दोनों हमारे हाथ में नहीं है, परन्तु जीवन पूरी तरह हमारे हाथ में है । जीवन कैसे जिया जाए ? इसका निर्णय हमारे अधिकार में है ।

सुख-शांति और प्रसन्नता से जीना या दुःख, क्लेश और अप्रसन्नता में जीवन गुजरना ? किसी ने खूब ही कहा है –

आफ़ाक में हँस-हँसकर जीना ही तो मुश्किल है,

आसान है रो-रोकर हस्ती को फ़ना करना ।

अथार्त दुनिया में हँस-हँसकर जीना ही मुश्किल है । रो-रोकर जीवन को नष्ट करना बहुत ही आसान है ।

सुख तो सभी भोग लेते हैं, दुःख धीर (धैर्यशाली) ही सहते हैं ।

घर की सुखमय कल्पना बालक-बालिकाओं, स्त्रियों-पुरुषों, युवकों-वृद्धों को चुम्बक की तरह आकर्षित करता है । घर की स्मृति व्यक्ति को अपराधों से मुक्त करने में समर्थ एवं व्यसनों से विश्रान्ति दिलाने में भी सक्षम है ।

हम भी बनायें अपना गरिमापूर्ण गृह...
आनन्दमय आलय...
शान्ति सदन...
हैप्पी होम

हमारी मुम्बई नगरी में वैभवशालियों की बस्ती, सुंदर आलीशान बंगला, फैशनेबल फर्नीचर, बहुमूल्य वस्तुओं के द्वारा सजावट, अदभुत गलीचे वाला आँगन – एयर कंडीशन चालू – टीवी चालू, परन्तु फिर भी घर में कोई नहीं, घर में सब कुछ मौजूद; परन्तु मालिक मौजूद नहीं । नौकर मजा लुट रहे हैं । पूछने पर पता चलता है कि बड़े सेठ विदेश गए है – छोटे सेठ पार्टी में गए है – सेठानी शापिंग करने निकल गई है – सेठ की बेटी डांस क्लास में डांस सीखने गई है । कब आयेंगे ? यहाँ सभी स्वतन्त्र हैं । किसी के भी आने-जाने का समय निर्धारित नहीं है । जब मन करे, चले आते हैं – जब मन करे लौट आते हैं । तभी नजर बँगले पर लगे तख्ती (बोर्ड) पर पड़ी, लिखा था – हैप्पी होम

मिठाई के डिब्बे को कितना भी सजा दीजिए । उससे मिठाई की मिठास बढ़ नहीं जाती । कस्तूरी के समीप रहने पर भी लहसुन की गन्ध जाती नहीं, चन्दन का पुरे शरीर में लेप कर दिया जाय तो भी गधा घोड़ा नहीं बन सकता । सिंह की खाल ओढा देने से कुत्ता सिंह नहीं बन सकता । गधा गंगाजल में सौ बार नाहा ले तो भी उसका गधापन नहीं छूटता । जीवन के धरातल पर यह बात लोगों को जल्दी समझमें नहीं आती ।

चार दीवारों पर छत बना देने से और उसमें आकर्षक मूल्यवान वस्तुओं की सजावट करने से ही कोई घर “हैप्पी होम” नहीं बन सकता; क्योंकि वस्तुत: वह जड़ पदार्थों का संयोग मात्र है ।

महँगे मकान को ही “हैप्पी होम” समझने की भूल हम बहुत बार कर बैठते हैं । ध्यान रखिये कि हैप्पी होम को किसी तख्ती की जरुरत नहीं है । जिस घर के भीतर प्रसन्न मनुष्य हों – घर के प्रत्येक सदस्य में परस्पर प्रेम, विश्वास, सहयोग हो, बस वही “हैप्पी होम” की संज्ञा पाने का सच्चा पात्र है ।

जहाँ मन का मिलाप है, वही महकता मकान है । जहाँ शान्ति का संचार है, वही शान्ति सदन है । जहाँ भारी भ्रातृत्व-भाव भरा हो, वही भव्य भवन है । जहाँ प्रत्येक सदस्य दे अन्त:करण में आनन्द की ऊर्मियाँ हिलोरें ले रही हैं, वही आनन्द भवन है ।

घर बाहर से दिखने में कैसा है ? इस बात का महत्त्व नहीं है – आप झोपड़पट्टी में रहते हैं या नगर की गली में अथवा किसी बँगले में – फ्लेट में । घर में आधुनिक फर्नीचर या डेकोरेशन है या नहीं – इस बात की चिन्ता नहीं – गिनती नहीं; क्योंकि घास-फूस की झोपड़ी भी “हैप्पी होम” बन सकती है तो दूसरी ओर अति समृद्ध पक्का भवन भी कोप-भवन बन सकता है ।

किसी भी घर को “हैप्पी होम” बनाने के लिए उसे सजाने-सँवारने की आवश्यकता नहीं है, बल्कि जीवन को, ह्रदय को अन्त:करण को सद्गुणों से – त्याग, विनय, प्रेम, विश्वास, सहयोग, सेवा से सजाने-सँवारने की आवश्कता है क्योंकि यही “हैप्पी होम” का मंत्र है ।

जहाँ बड़ो के प्रति विनय-भाव रखा जाता है , जहाँ पारिवारिक सदस्यों में परस्पर प्रेम है, विश्वास है, सहयोग है, सहिष्णुता है, वहां पारिवारिक निरन्तर सुख शान्ति का निवास है । ऐसा होम ही “हैप्पी होम” है, जहाँ किसी की प्रसन्नता कभी कम नहीं होती ।

यदि घर को स्वर्ग बनाना है तो –
संस्कारों का सिंचन करते रहें...
अपने चित्त को प्रसन्न बनाये रखें...
वचनों में सच्चाई और माधुर्य घोलते रहें...
सज्जनों-अनुभवियों की संगति करते रहें...
सभी के साथ प्रेमपूर्ण व्यवहार करते रहें...
धन-संग्रह की लालसा से दूर बने रहें...
विषयवासना के दलदल से बचते रहें...
कषाय (क्रोध-मान-माया-लोभ) के करंट से सावधान रहें...

वैसा घर पुद्गलों से नहीं, पारिवारिक सदस्यों के सह-अस्तित्व से बनता है । हैप्पी होम को बनाने के लिए सर्वप्रमुख पात्र है – नारीशक्ति ! महिलाशक्ति !! स्त्रीशक्ति !!!

The translation of this post with the help of Google language tool as below:

The three stages in human life are prominent -

  1. birth
  2. Life
  3. death

Birth and death are not both in our hands, but life is completely in our hands. How to live life? Its decision is in our possession.

Living with pleasure and happiness, or going through life in sorrow, tribulation and displeasure? Someone has said very well -

It's hard to live laughing in a laugh,

Easier to roast a celebrity.

In reality, it is difficult to live laughing in the world. Roe-crying is very easy to destroy life.

Happiness takes all, sadness only (tolerate) suffer.

The pleasant imagination of the house attracts infants, women, men, youth and aged men like magnet. The memory of the house is also able to relieve the person from the crime and get rest from the addictions.

We also make your dignified home ...
Anandhamaya Halla ...
Peace House ...
Happy Home

Our city of magnificent colonies in Mumbai, beautiful plush bungalow, fashionable furniture, decoration by precious items, wonderful street patio - air conditioned current - TV on, but none in the house, everything in the house is present; But the owner does not exist. The servants are looting fun. Upon asking, Big Seth has gone abroad - Seth has gone to the party - Sethani has gone shopping; Seth's daughter has gone to learn dance classes in dance class. When will you come? All here are free. There is no scheduled time for anyone to come and go. When you think, come on - when you return to mind. At that point, the plaque lying on the bandwagon (board) was written, - Happy Home.

How much punishment should the dessert compartment be? It does not increase the sweetness of sweets. Even if you are near the oysters, the garlic does not go away, even if the sandalwood is coated in the whole body, even a donkey can not become a horse. Can not become a dog lion due to lion's skin. Even if the donkey does not take a hundred times in the Ganges, then its dirty work does not leave. People do not understand this thing quickly on the surface of life.

No house can be made a "Happy Home" by making roofs on four walls and decorating attractive valuables; Because in fact it is a coincidence of root matter.

We often forget the expensive house as "Happy Home" Keep in mind that Happy Home does not need any frames. Within the house, there are happy people - each person in the family has mutual love, trust, cooperation, that is the true character of getting the name of "Happy Home".

Where the union of the mind is, it is the same house. Where peace is communicated, the same peace is the house. Where there is heavy fraternity, it is the grand house. Where each member is enjoying the joy of joy in the heart, the same joy is the building.

What is the look from outside the house? This is not important - you live in slums or in the streets of the city or in any of the bungalows - in flats. Whether there is a modern furniture or decoration at home - do not worry - this does not count; Because the hay cottage can also become a "Happy Home", on the other hand a very rich building can also become a Coppola.

To make any house a "Happy Home", it is not necessary to decorate it, but to love the heart, to the heart by virtue - sacrifice, modesty, love, faith, cooperation, service. This is because it is the mantra of "Happy Home".

Where there is a modesty towards the elderly, where there is mutual love in the family members, there is faith, cooperation, tolerance, there is family residence and peace of peace. Such a home is "Happy Home", where no one's happiness is ever less.

If the house is to be made heaven -
Continue to irrigate sacraments ...
Keep your mind happy ...
Keeping truth and melody in words ...
Keep up with the gentlemen and the experienced ...
Keep loving with everyone ...
Stay away from the craving for riches ...
Avoid quarrels of rage ...
Beware of the current of kashayas (anger-pride-deceit-greed) ...

Such a house is not made from pillows, but it is made of co-existence of family members. Happy Home is the most prominent character to make - Feminine! Women Power !! Stamina !!!

Happy Home Steeming

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मेरी खुशी मेरे ही हाथ में है, और इसे मुझसे कोई नहीं छीन सकता’। यदि आपने दिल से अपने आप से यह बात कही है तो आपके चेहरे पर एक मुस्कान जरूर होगी।
आपके भीतर एक खुशी एवं उत्साह को भर देता है। और यह बात सत्य ही तो है, यदि हम अपने लिए खुशियां बटोर लें, केवल बड़ी नहीं कुछ छोटी-छोटी भी और साथ ही दूसरों की व्यर्थ बातों का खुद पर असर ना होने दें तो हम शायद ही कभी उदास न रहें और हमेशा खुश रहे।बहुत अच्छा ब्लॉक है आपका इस पोस्ट से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है दन्यवाद मेहता जी

@mehta “No house can be made a "Happy Home" by making roofs on four walls and decorating attractive valuables; Because in fact it is a coincidence of root matter.”
Fantastic method to be happy and satisfied in whatever you have achieved and earned

प्रणाम मेहता जी,

क्या खूब लिखा है भाई जी... बिलकुल सच। पर खुशी तो तब होगी जब इन बातों पर गौर करने वाला और इन बातों को अपने जीवन में लागू करने वाला कोई हो। हम सब एक ऐसे घर का सपना देखते हैं जो दुनिया के सभी सुखों से संपन्न हो , जहाँ हर आराम और सुख भोगा जा सके।

आपसी प्रेम जैसे समय के साथ-साथ खोता ही जा रहा है। बस सबमें 'अहम्' का भाव नज़र आता है 'मैं' का भाव नज़र आता है। समझाने वाले कुछ अच्छे बुद्धिजीव इस धरती पर मौजूद हैं.. पर उनकी सुनता कौन है ? सुनता है भी तो दूसरे कान से निकाल देता है।

शायद इसी को कलयुग कहते हैं.. जब सब कुछ बुरा ही बुरा हो रहा है , न तो अच्छा कोई सुनना चाहता है और न ही करना। अगर कहीं पर कुछ अच्छा देख लिया या सुन लिया तो उसकी तारीफ़ कर दी , उसकी वाहवाही में थोड़ा सा योगदान दे दिया और उसके बाद सबके लिए फिर "वही घोड़े वही मैदान"

उम्मीद करता हूँ मेहता जी आपसे एक दिन मुलाकात हो और विचारों का आदान-प्रदान हो।

मैं आपकी बात से सहमत हूँ क्योकि ये बाते सिर्फ पढने में अच्छी लगती है . आज के वक़्त में कोई भी इस बातो पर अमल नहीं करता है या फिर करना नहीं चाहता है

@deepakmangal @vikas07338
आप लोगों की बाते एकदम सही है, पर किसी ओर को देखकर हमें अपनी प्रकृति नहीं बदल लेनी चाहिए. हमें तो बस सही दिशा में काम करना है, कोई और क्या करता है ये उसका काम है.
हमें अपने घर को अच्छा बनाने का प्रयत्न करना चाहिए, उसके लिए बहुत त्याग, मेहनत और तपस्या लगती है. ये कोई एक दिन का काम नहीं है ये तो अनवरत चलने वाली क्रिया है.

मेहता सर अगर कोई व्यक्ति अपने मन के स्तर पर भी खुशहाल हो जाए तो क्या उसका घर भी एक खुशहाल घर हो सकता है?

क्यों नहीं होगा, किसी भी चीज की शुरुआत अपने मन से ही होती है.
आप अपने आप को अच्छा कर लेंगे और दूसरों का भी ध्यान रखेंगे तो एक दिन आएगा जब आपका घर खुशहाल बन जाएगा.

आपने सही कहा अगर घर को सुन्दर बनाना है तो घर को सजाने की जरुरत नहीं है बल्कि एक दूसरे के प्रति प्रेम ,विश्वास से पेश आना ही घर को हैप्पी होम बनाता है।

आज के भागते दोड़ते जीवन में लोग अपने आप को ही भूलते जा रहे और सच में खुशिया किया वाही भूल गए बस एक अंधी दोड लगा रहे आज जे जीवन में इंसान अपने परिवार के लिए सबकुछ उपलब्ध करवा देता सिर्फ अपने आपको नहीं वो कभी अपने परिवार के साथ बेथ के खाना नहीं खता हे हर इंसान को एक फिर सोचने की जरुरत हे की किया यही वह खुसिया हे जिसके पीछे वो एक मशीन की तरह दोड रहा हे किया यही वाही खुसिया हे जिसे उसका परिवार चाहता हे

ये बाते जो भी आपने कही है मैं इन सभी बातो से बिलकुल सहमत हूँ क्योकि हम अपने कामो में इतने उलझ जाते है कि अपनो के लिए बिलकुल भी वक़्त नहीं निकल पाते है. घर को घर बनाने के लिए जरुरी होता है की अपनों की भी वक़्त दिया जाये जहा प्रेम, स्नेह और आदर हमेसा रहे.

मैंने आज ही आपकी सभी post को देखा सभी को पढने की कोशीस भी कि लेकिन वक़्त के कारन नहीं पढ़ पाया. आपको आपकी आने वाली post के लिए पहले से गुड लक बोल रहा है. मैं यहाँ पर new ज्वाइन किया हूँ प्लीज मेरे भी ब्लॉग पर एक बार जरुर विजिट करे.

जीवन जीना ही काफी नही होता ।जीवन तो हर कोई जी लेता है।महत्वपूर्ण बात ये आप अपने जीवन को कैसे परिपक्व बना के जिये ये जीवन मे ज्यादा महत्वपूर्ण है।बहुत अच्छा ब्लॉग है आपका।

वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि । तथा शरीराणि विहाय जीर्णा- न्यन्यानि संयाति नवानि देही ।
यही जीवन का सार है और हैप्पी होम भी।thanks Mehta ji for such kinds of articles.

exactly file only in our hand not birth and death

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