स्वास्थ्य: आइए जानें सर्दी के मौसम में होने वाले मुख्य रोग और सावधानियाँ....

in #bitcoin7 years ago

मानव शरीर को कई तरह की बीमारियाँ अक्सर घेरती रहती हैं जिनमें कुछ बीमारियाँ मौसम के अनुसार भी होती हैं। अगर समय पर देखभाल व सही सावधानियाँ और उपचार किए जाएँ तो काफी हद तक इन मौसमी बीमारियों से बचा जा सकता है।

सर्दियों के मौसम की शुरुआत हो चुकी है। इस मौसम में सर्दी, जुकाम, बुखार, त्वचा आदि की समस्याएं तो आम तौर पर होती ही रहती हैं। जो लोग समय पर और मौसम के अनुरूप अपना खयाल रखते हैं, वो इन मौसमी बीमारियों से बच सकते हैं और जो लोग बदलते मौसम में शरीर की जरूरतों का ध्यान नहीं रखते, उन्हें कई बीमारियां अपनी चपेट में ले लेती हैं।

सर्दी-जुकाम (कोल्ड)

सर्दी-जुकाम (कोल्ड) तापमान में परिवर्तन के कारण होता है। जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, यह रोग उन्हें जल्दी अपने प्रभाव में लेता है। इस संक्रामक बीमारी के वारयस से बचने के लिए साफ-सफाई का खास ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

हाथों को बार-बार साबुन से धोते रहना चाहिए, ताकि संक्रमण से बचा सके। यह वायरल इंफेक्शन होता है, इस कारण इसमें एंटीबायटिक की जरूरत नहीं होती। यह 5-7 दिन में अपने आप ठीक हो जाता है। इसमें एंटी एलर्जिक दवा दी जाती है, ताकि मरीज को आराम मिले।

इसमें भाप, नमक के पानी के गरारे आदि काफी लाभदायक रहते हैं। रोगी को गर्म तरल खाद्य पदार्थ का अधिक प्रयोग करना चाहिए। फौरन गर्म से ठंडे में और ठंडे से गर्म वातावरण में न जाएं, अन्यथा इससे संक्रमण हो सकता हैं।

टॉन्सिलाइटिस

यह बच्चों में पाई जाने वाली आम समस्या है जो टॉन्सिल में संक्रमण के कारण होती है। गले में काफी दर्द होता है। खाना खाने में दिक्कत होती है, तेज बुखार भी हो सकता है। यह बैक्टीरियल या वायरल संक्रमण से हो सकता है। इससे बचने के लिए इस मौसम में ठंडी चीजों का प्रयोग करने से बचें। गर्म भोजन और गुनगुने पानी का प्रयोग करें।

हाइपोथर्मिया

अगर शरीर का ताप 34-35 डिग्री से नीचे चला जाए तो उसे हाइपोथर्मिया कहते हैं। इसमें हाथ-पैर ठंडे पड़ जाते हैं, सांस लेने में तकलीफ होती है और ह्रदय गति बढ़ जाती है, रक्तचाप कम हो जाता है। अगर शरीर का तापमान कम हो जाए तो व्यक्ति की मृत्यु भी हो सकती है।

अस्थमा

अस्थमा एक एलर्जिक बीमारी है। अस्थमा वाले लोगों की तकलीफ इस मौसम में काफी बढ़ जाती है। सर्दियों में कोहरा अधिक होता है। इस मौसम में कोहरे की वजह से एलर्जी के तत्व आसपास ही रहते हैं जो हवा में उड़ते नहीं हैं। इन तत्वों से अस्थमा के रोगियों को अधिक तकलीफ होती है। इस मौसम में ऐसे लोगों के लिए धूल-मिट्टी से बचना चाहिए। अगर दवा खा रहे हैं तो उसे नियमित रूप से लेते रहें, क्योंकि ऐसे में एलर्जेट अटैक कर सकते हैं।

बेल्स पाल्सी

बेल्स पाल्सी को फेसियल पेरालिसिस भी कहते हैं। यह सर्दियों में होने वाला सामान्य रोग है। इसमें मुंह टेड़ा हो सकता है और आंख खराब हो सकती है। कान के पास से गुजरने वाली सेवेंथ क्रेनियल नस तेज ठंड होने पर सिकुड़ जाती है जिससे यह बीमारी होती है। इसमें मुंह टेड़ा हो जाता है, मुंह से झाग निकलने लगता है, बोलने में जबान लड़खड़ाने लगती है और आंख से पानी आने लगता है।

अगर लंबे समय तक ठंड में रहें तो कान की उस नस को नुकसान हो सकता है। खासकर ड्राइविंग करने वालों, रात में बिना सिर को ढके कहीं जाने वालों में इसका खतरा बढ़ जाता है, इसलिए मफलर का प्रयोग करें, गाड़ी के शीशे बंद रखें।

रूखी त्वचा

सर्दियों में अधिक कपड़े पहनने से शरीर को मॉइश्चर नहीं मिलता, जिससे त्वचा शुष्क हो जाती है और फटने लगती हैं। त्वचा को शुष्क होने से बचाने के लिए मॉइश्चराइजर जरूर लगाएं। त्वचा को सूखेपन से बचाने के लिए मलाई या तेल का भी प्रयोग कर सकते हैं।

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