Horror stories in Hindi
बात करीब आज से 15 साल पहले की है जब मैं अपने बोर्डिंग स्कूल में पढ़ा करता था. हमारा स्कूल एक christian convent स्कूल था जो की एक बहुत ही पुरानी चर्च के पास बना था. हमारे स्कूल का इलाका बहुत ही बड़ा था, जिसमे हॉस्टल, playground वगैरा सब कुछ था. एक बार हमारे यहाँ एक नयी बिल्डिंग बनायीं जा रही थी हॉस्टल के लिए. तो उसके लिए जमीन की खुदाई की जा रही थी. खुदाई के दौरान वहां कई सरे नर कंकाल पाए गए. उनमे से कुछ को तो हमारे प्रिंसिपल ने हमारी बायो लैब में रखवा दिया और कुछ को वही दबा रहने दिया क्युकी वो टूटी फूटी हालत में थे.
कुछ दिनों बाद वो नयी हॉस्टल की बिल्डिंग बन के तैयार हो गयी. और वहां पर बच्चे रहने लगे. बिल्डिंग के पीछे की तरफ लोहे की सीढिया बनी हुई थी इमरजेंसी के लिए.
नई बिल्डिंग बनने के कुछ दिन बाद ही अजीब अजीब सी घटनायें होने लगी बिल्डिंग में. किसी के रूम में चीजें अपने आप गिरने लगती तो किसी को सोते हुए कोई साया पकड़ के हिला देता. किसी को नहीं समझ आ रहा था की क्या हो रहा है. स्कूल की मैनेजमेंट ने भी ख़ास ध्यान नहीं दिया ये सोच के की बच्चे आपस में मजाक करते होंगे.
लेकिन धीरे धीरे मामला सीरियस होता गया.
एक रात पांचवी मंजिल पर रहने वाले एक बच्चे ने ऊपर से कूदकर ख़ुदकुशी कर ली. सब सकते में आ गए. पुलिस ने छानबीन शुरू की तो यही नतीजा निकला की बच्चे ने खुद छलांग लगायी थी बिल्डिंग से क्युकी वहां और कोई नहीं था.
लेकिन अगले ही एक महीने में 3 और बच्चे बिलकुल उसी तरह से बिल्डिंग से कूद गए और मर गए.
इसकी बाद स्कूल मैनेजमेंट के होश उड़ गए. और सबने मान लिया की यहाँ जरूर कोई ऊपरी चक्कर है.
अगले ही दिन साथ वाली चर्च के बूढ़े फादर को बुलाया गया. वो उस लोहे की सीढ़ी के पास आते ही समझ गए की यहाँ कुछ गड़बड़ है. उन्होंने प्रिंसिपल को बोलके उन सीढ़ियों को बंद करवा दिया और उसका शुद्धिकरण किया.
बूढ़े फादर ने बताया की जहाँ वो बिल्डिंग बनी थी वहां भूतों का पूरा कबीला रहता था, और बिल्डिंग बनने से वो सारे भूत बहुत नाराज हो गए थे. इसलिए ये सब हरकतें हो रही थी वहां. और जो बच्चे बिल्डिंग सी कूदे हैं वो अपनी मर्जी सी नहीं बल्कि उनको जबरदस्ती भूतो ने धक्का दिया था बिल्डिंग से.
फादर वहां हर फ्राइडे को आते और हौली वाटर से उस जगह की शुद्धि करके जाते.
धीरे धीरे सारी अजीब हरकतें कम होती चली गयी.
बिलकुल बंद तो नहीं हुई थी, क्युकी उसके बाद भी कई बच्चो ने बताया की उनके कमरे का सामान इधर उधर हो जाता है. लेकिन ख़ुदकुशी का कोई केस दुबारा नहीं हुआ. मैं उसके बाद दो साल और उस स्कूल में पढ़ा, लेकिन मुझे कुछ ऐसा महसूस नहीं हुआ वहां. हाँ लेकिन रात में जरूर उन सीढ़ियों के पास में जाने में डर जरूर लगता था.