शुभ सन्देश

in #bible6 years ago

प्रश्न: क्या अनन्त जीवन प्राप्त हुआ ?

उत्तर; बाइबल अनन्त जीवन की ओर एक स्पष्ट मार्ग को प्रस्तुत करती है। सबसे पहले, हमें यह जान लेना चाहिये कि हमने परमेश्वर के विरुद्ध पाप किया है: "इसलिये कि सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित है" (रोमियों 3:23)। हम सबने ऐसे कार्य किये हैं जो परमेश्वर को अप्रसन्न करते हैं, जो हमें सजा प्राप्त होने का पात्र बनाते हैं। क्योंकि हमारे सारे पाप आखिरकार एक सनातन परमेश्वर के विरुद्ध हैं, इसलिए केवल एक अनन्तकालीन दण्ड ही पर्याप्त है। "पाप की मज़दूरी तो मृत्यु है, परन्तु परमेश्वर का वरदान हमारे प्रभु मसीह यीशु में अनन्त जीवन है" (रोमियों 6:23)।

परन्तु फिर भी, यीशु मसीह, जो पाप रहित था (1पतरस 2:22) परमेश्वर का अनन्त पुत्र एक मनुष्य बना (यूहन्ना 1:1; 14) और हमारे जुर्माने को चुकाने के लिये मर गया। "परमेश्वर हम पर अपने प्रेम की भलाई इस रीति से प्रकट करता है, कि जब हम पापी ही थे, तभी मसीह हमारे लिये मरा" (रोमियों 5:8)। यीशु मसीह क्रूस पर मरा (यूहन्ना 19:31-42), उस दण्ड को उठाया जिसके पात्र हम थे (2 कुरिन्थियों 5:21)। तीन दिन पश्चात् वह मरे हुओं में से (1कुरिन्थियों 15:1-4) पाप तथा मृत्यु के ऊपर अपनी विजय को प्रमाणित करते हुए जी उठा। "जिसने यीशु मसीह के मरे हुओं में से जी उठने के द्वारा, अपनी बड़ी दया से हमें जीवित आशा के लिये नया जन्म दिया" (1पतरस 1:3)।

विश्वास के द्वारा, हमें मसीह के सम्बन्ध में अपने मनों को परिवर्तित कर लेना चाहिए – कि वह कौन है, उद्धार के लिए उसने क्या, और क्यों किया (प्रेरितों के काम 3:19)। यदि हम उसमें अपने विश्वास को रखते हैं, उसकी क्रूस पर हमारे पापों का दाम चुकाने के लिए हुई मृत्यु पर विश्वास करते हुए तो हम क्षमा किए जाएंगे और हम स्वर्ग में अनन्त जीवन की प्रतिज्ञा को प्राप्त करेंगे। "क्योंकि परमेश्वर ने जगत से ऐसा प्रेम रखा, कि उस ने अपना एकलौता पुत्र दे दिया, ताकि जो कोई उसपर विश्वास करे, वह नष्ट न हो, परन्तु अनन्त जीवन पाए" (यूहन्ना 3:16)। "यदि तू अपने मुँह से 'यीशु को प्रभु' जानकर अंगीकार करें और अपने मन से विश्वास करे कि परमेश्वर ने उसे मरे हुओं में से जिलाया, तो तू निश्चय उद्धार पाएगा (रोमियों 10:9)।

क्रूस पर यीशु के समाप्त किये गए कार्य पर विश्वास ही केवल अनन्त जीवन का सच्चा मार्ग है! "क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है - और यह तुम्हारी ओर से नहीं वरन्‌ परमेश्वर का दान है - और न कमजोरी के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे" (इफिसियों 2:8-9)।

यदि आप यीशु मसीह को अपने उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करना चाहते हैं, तो यहाँ पर एक सरल प्रार्थना दी गई है। स्मरण रखें, इस प्रार्थना या कोई अन्य प्रार्थना का बोलना आपको बचा नहीं सकता है। केवल यीशु में विश्वास ही है जो आपको पाप से बचा सकता है। यह प्रार्थना उसमें अपने विश्वास को व्यक्त करने और आपके लिए उद्धार का प्रबन्ध करने के लिए धन्यवाद देने का एक तरीका मात्र है। "हे, परमेश्वर, मैं जानता हूँ कि मैंने आप के विरुद्ध पाप किया है, और मैं सजा का पात्र हूँ। परन्तु यीशु मसीह ने उस सजा को स्वयं पर ले लिया जिसके योग्य मैं था ताकि उसमें विश्वास करने के द्वारा मैं क्षमा किया जा सकूँ। मैं उद्धार के लिए आपमें अपने विश्वास को रखता हूँ। आपके अद्भुत अनुग्रह तथा क्षमा – जो अनन्त जीवन का उपहार है, के लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूँ! आमीन।"

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