Story- Machli, lowket or lalach
रैमो अपने तालाब की सबसे खूबसूरत मछली थी। रैमो सबको हंसाती रहती, हमेशा सबकी मदद करती। रैमो और उसके दोस्तों की वजह से तालाब हमेशा साफ़ रहता था। हर शाम लोग इन खूबसूरत मछलियों को देखने आते थे।
इसी बहाने तालाब के हर प्राणी को भरपेट भोजन करने को मिलता था। पर एक रात अचानक यह सब बदल गया। उस रात मछुआरो की टोली तालाब में नांव लेकर घुस आई और मछलियों को फंसाने के लिए जाल डालने लगी। उन्हें पता चल गया था कि इस तालाब में मछलियां भरी पड़ी है। मछुआरे के आने से तालाब में हड़कंम्प मच गया।
रेमो को अचानक एक तरकीब सूझी। कुछ दिनों पहले किसी आदमी ने गुस्से में हीरे की एक अंगूठी तालाब के फेंक दी थी। रेमो ने वह अंगूठी यह सोच कर संभाल रखी थी की अगर कोई उसे कोई लेने आया, तो वह उसे वापस कर देगी।
रेमो ने सोचा, अगर इन मछुआरों को वह अंगूठी दे दी जाये, तो शायद सारी मछलियों की जान बच जाए। आखिर वह हीरे की अंगूठी थी। रेमो ने वह अंगूठी धीरे से एक जाल मई फसां दी। मछुआरे ने वह अंगूठी देखी, तो वह बहुत खुश हुए और उस रात वह वहां से चले गए। पर एक अंगूठी उनके लालच को भला कितने दिन रोक रखती! अगले दिन वे मछुआरे फिर वापस आये। इस बार भी रेमो के कारण तमाम मछलियों की जान बच गयी।
इस बार उसने सोने के एक पुराने लॉकेट के जरिये मछलियों की जान बचाई। अगले कुछ दिनो तक ऐसा ही होता रहा। रेमो तालाब के गर्भ से कोई नायाब चीज निकालती और मछुआरों के जाल में डाल देती। पर एक दिन तालाब का गर्भ खाली हो गया।
जब अगले एक-दो दिन तक लालची मछुआरो को कुछ नहीं मिला, तो उन्होंने पूरे तालाब का पानी उलीच दिया। उनके लालच के कारण सेकड़ो जीवो की जान चली गई।
हमारी अपेक्षाएं ही हमारे पतन का कारण होती है।
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