"खून की गंगा में तिरती मेरी किश्ती" - यह पुस्तक मैंने क्यों लिखी?

in #india5 years ago (edited)

प्रिय मित्रों,

जैसा कि आप में से अधिकांश को ज्ञात है कि "खून की गंगा में तिरती मेरी किश्ती" एक पुस्तक का नाम है जो मैंने सन 2015 में लिखी थी।

किंतु अब तक कुछ ही भाग्यशाली लोगों को इस पुस्तक को पढ़ने का सुअवसर मिल पाय है। इसका एक प्रमुख कारण यह रहा कि मैंने कभी इस पुस्तक का सर्वजन हेतु प्रकाशन नहीं करवाया।

मूल पाण्डुलिपि की एक प्रति के आलावा मैंने इसकी केवल दो प्रतियां ही मुद्रित करवाई थी। वह भी तब जब श्वेताम्बर जैन समुदाय के सबसे बड़े पंथ के प्रमुख आचार्य श्री शिवमुनि जी का मेरे घर के समीप ही आना हुआ तो पुस्तक की प्रथम प्रति उन्हें भेंट करने की आंकाक्षा हुई। फलस्वरूप मैंने विशेष रूप से पुस्तक की दो प्रतियाँ शीघ्रता से प्रिंट कारवाई थी।


li0gg2efci.jpg

और यह एक प्रति मेरे पास रह गई:


zx3w5k3jzc.jpg

यह पुस्तक मैंने क्यों लिखी?


जब मैंने निरवद्यता (यानि कि veganism) को अपनाया था तब मुझे इस संबंधित जानकारी का हिंदी भाषा में बहुत अभाव लगा। बहुत खोजने पर भी हिंदी भाषा में इस विषय पर कोई सामग्री नहीं मिल पायी। तब मैंने स्वयं हिंदी भाषा में एक पुस्तक लिखने की सोची।

लेकिन बाद में मुझे ऐसा प्रतीत हुआ कि मैंने बहुत हद तक पश्चिमी देशों में चल रहे निरवद्य-आन्दोलन द्वारा फैलाई विचारधारा का सीधे अंग्रेजी भाषा से हिंदी में प्रस्तुतीकरण मात्र कर दिया है। लेकिन पश्चिमी आन्दोलन की विचारधारा कुछ जगह मेरे विचारों से मेल नहीं खाती या मुझे उनके तर्क इतने आकर्षित नहीं करते। अतः मैंने इस पुस्तक की अधिक प्रतियां प्रिंट करवाने से पहले फिर से थोड़ाा और सम्पादित करने की सोची। लेकिन मैं फिर इस कार्य के लिए समय नहीं दे पाया।

अब काफी समय बीतने पर मैं लगभग भूल ही गया कि मुझे कौनसा अंश ठीक करना था। अतः यह पुस्तक पूरी पढ़नी पड़ेगी। तब मैंने सोचा कि क्यों न इस को जैसी है वैसी यहाँ रोज थोड़ी-थोड़ी पोस्ट करके आप सबके साथ भी साझा करूं और हम साथ-साथ इसे पढ़ें।

कई मित्रों, परिचितों और अन्य लोगों की भी काफी इच्छा थी इस पुस्तक को हासिल करने की, वे सब भी यहाँ पढ़ सकते हैं (विशेषकर वे, जो कि इन्टरनेट का इस्तेमाल करते हैं)।

आप सबकी प्रतिक्रिया इसमें उचित सुधार करने में मेरी मदद भी करेगी।

आप में से कुछ लोगों को याद होगा कि गत वर्ष भी मैंने ऐसा करने का विचार बनाया था लेकिन फिर स्टीम ब्लॉकचेन हार्ड-फोर्क -20 के कारण मुझे इस कार्यक्रम को टालनाा पड़ा। इस अकाउंट में हार्ड-फोर्क 20 के अनुसार आवश्यक समुचित RC का अभाव था। लेकिन उसके बाद काफी समय बीत गया। हार्ड-फोर्क 20 के बाद अब 21 और 22 भी हो गए। स्टीम का पूर्ण रूपांतरण हो गया लेकिन यह अकाउंट प्रसुप्त पड़ा रहा।


hd0rqplnzv.jpg

आज हिंदी दिवस के अवसर पर मुझे इस बात की पुनः याद आई और मैंने इस पुस्तक को भी खोज कर निकाल लिया। हिंदी की पुस्तक को प्रकाशित करने के लिए हिंदी दिवस से बेहतर समय और क्या हो सकता है? और एक सोशल ब्लॉकचेन से बेहतर और क्या माध्यम हो सकता है?

आशा करता हूँ कि आपको मेरा यह प्रयास पसंद आयेगा।

आप निश्चिन्त भाव से इसमें व्याप्त त्रुटियों और कमियों की ओर मेरा ध्यान आकर्षित कर सकते हैं। मैं आपका अत्यंत आभारी रहूँगा।

- आशुतोष निरवद्याचारी

Coin Marketplace

STEEM 0.17
TRX 0.15
JST 0.029
BTC 62084.99
ETH 2415.83
USDT 1.00
SBD 2.62