Brave leaders of the country 3

in #jay6 years ago

Pakistanis in August of 1965. in Kashmir
has
Pakmujihid started tampering but prime minister
On August 15, Pakistan fired a flag on the Red Fort
And
Warning to its helpful countries in a cracking voice
In clear words - "Today's India was two years ago
India is not. If someone attacks our country then the mouth
Will have to eat. We are peaceable but the answer to the brick is the stone.
From will. On the country's objection, we will have everything
Will do it. We love the country from our being, so the world
Open ears to hear that we live or not, this flag and
Hindustan will definitely be. "Shastriji's brave warning
Put the lives of the Indians in the body. Country child
Ready to fight the invaders Country
Army's alert became Indians in counter-attack already
The armies pushed the Pakistani armies away. when
Pakistan's defeat on every front, then the western countries
To pressurize India, economic and food related issues
Stopped the aid. China pretends to steal sheep
Threatened to invade India. But that of India
Bahadur Sutta, challenging China, said, 'It took time
When China came under attack by sleeping India and pressed it.
Today the whole country is awake, we are in China and Pakistan
They are ready to fight together. '
Rejecting the inappropriate pressure of 'western country' today
We want to take advantage of our compulsions but we
Expectation of hunger will be accepted rather than begging. India Ruble,
Pond, Frank and Dollar Do not Believe It's On Their Own
The battle will be fought. "The world's rage over Shastri's response
Remained Newspapers of the world, Shri Nehru's successor, Shri
Shastri ji to Churchill and Nehru to say Chamberlain to India
Having missed The fighters of India, Patten Tanks of the USA
Shocked Hundreds of miles on Pakistani territory
Indian jawans knocked on the door of Lahore
Gave . When Pakistan and its pro-Pakistan countries
Saw the existence of the end, and begun to beg for the agreement.
Soon after the ceasefire, the Russian Prime Minister Mr. Kosigin
The President of Pakistan, Muhammad Ayub Khan and India
Tashkent for the agreement to Prime Minister Lal Bahadur Shastri
Called . When the Pakistani President made an atonement of the war
Always do not fight for war and stay ally
If Shastri did this, by saying this,
Given that we should not have peace in the area. We fight for peace
Has stopped fighting and getting peace. Whatever
Shastriji told the world that Bahadur was a Danavir
He is also fighting country and
Someone can win
The country can also return back to begging the country. Today the world
Recall that national hero of India as Lal Bahadur Shastri
Does.



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(Image source:google.com)
1965 के अगस्त मास में पाकिस्तानियों। कश्मीर में
ने
पाकमुजाहिद भेज कर छेड़छाड़ शुरू कर दी परन्तु प्रधानमंत्री
ने 15 अगस्त को लाल किले पर झंडा फहरा कर पाकिस्तान ।
तथा
उसके मददगार देशों को कड़कती आवाज में चेतावनी देते हुए
स्पष्ट शब्दों में कह दिया - “आज का भारत दो साल पहले का
भारत नहीं है। यदि कोई हमारे देश पर आक्रमण करेगा तो मुंह
की खानी पड़ेगी । हम शान्तिप्रिय हैं परन्तु ईंट का जवाब पत्थर।
से देंगे । देश पर आपत्ति आने पर हम अपना सब कुछ न्यौछावर
कर देंगे । हमें अपने अस्तित्व से देश प्यारा है इसलिये दुनिया
कान खोल कर सुन ले कि हम रहें या न रहें यह झंडा और
हिन्दुस्तान अवश्य रहेगा ।’’ शास्त्री जी की वीरतापूर्ण चेतावनी
ने भारतवासियों के शरीर में जान डाल दी । देश का बच्चा-बच्चा
आक्रमणकारियों का मुकाबला करने के लिए तैयार हो गया । देश
की सेना सतर्क हो गई । पहले ही जवाबी आक्रमण में भारतीय
सेनाओं ने पाकिस्तानी सेनाओं को खदेड़ कर रख दिया । जब
पाकिस्तान की प्रत्येक मोर्चे पर पराजय होने लगी तो पश्चिमी देशों
ने भारत पर दबाव डालने के लिए आर्थिक तथा खाद्य संबंधी
सहायता बन्द कर दी । चीन ने भेड़ों के चुराने का बहाना लेकर
भारत पर आक्रमण करने की धमकी दी । परन्तु भारत के उस
बहादुर सपूत ने चीन को ललकारते हुए कहा ‘वह समय चला
गया जब चीन ने सोते भारत पर आक्रमण करके आ दबाया था ।
आज सारा देश जाग्रत हो चुका है हम चीन तथा पाकिस्तान का
एक साथ मुकाबला करने को तैयार हैं ।’ उन्होंने पश्चिमी देशों से
के अनुचित दबाव का खंडन करते हुए कहा ‘पश्चिमी देश आज
हमारी विवशता का लाभ उठाना चाहते हैं परन्तु हम विदेशों से
भीख माँगने की अपेक्षा भूखा मरना स्वीकार करेंगे । भारत रूबल,
पौण्ड, फ्रैंक और डालर की धौंस नहीं मानता वह अपने दम पर
लड़ाई लड़ेंगे ।'' शास्त्री जी के दिलेराना जवाब पर दुनिया दंग
रह गई । दुनिया के समाचार पत्रों ने नेहरू के उत्तराधिकारी श्री
शास्त्री जी को भारत का चर्चिल और नेहरू को चेम्बरलेन कह
कर याद किया । भारत के सेनानियों ने अमरीका के पैटन टैंकों
की धज्जी उड़ा कर रख दी । सैकड़ों मील पाकिस्तानी क्षेत्र पर
कब्जा करके भारतीय जवानों ने लाहौर का दरवाजा खटखटा
दिया । जब पाकिस्तान और उसके समर्थक देशों ने पाकिस्तान
का अस्तित्व समाप्त होते देखा तो समझौते की भीख माँगने लगे ।
युद्धबंदी के तुरन्त पश्चात रूस के प्रधानमंत्री श्री कोसीगिन
ने पाकिस्तान के राष्ट्रपति मुहम्मद अयूब खाँ और भारत के
प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री को समझौते के लिए ताशकंद
बुलाया । जब पाकिस्तानी राष्ट्रपति ने युद्ध का प्रायश्चित करके
सदा के लिये युद्ध न करने और मित्र देशों की तरह रहने का संकल्प
किया तो शास्त्री जी ने यह कह कर जीता हुआ क्षेत्र वापिस कर
दिया कि हमें क्षेत्र नहीं शान्ति चाहिए । हमने शान्ति के लिये लड़ाई
लड़ी और शान्ति प्राप्त करने पर बन्द कर दी है । कछ भी हो
शास्त्री जी ने दुनियाँ को यह बता दिया कि बहादुर दानवीर होता
है वह लड़ के देश को भी है और
किसी जीत सकता जीते हुए
देश को भीख माँगने पर वापिस भी लौटा सकता है । आज दुनियाँ ।
भारत के उस राष्ट्रनायक को लाल बहादुर शास्त्री के नाम से याद
करती है ।



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