जब तुम्हारा हृदय गीता की ओर .....
जब तुम्हारा हृदय गीता की ओर
आकर्षित हो ही रहा है तो
अपने व्यक्तित्व में भी
थोड़ा कृष्ण को उभरने दो न।
नहीं तो ये कैसा प्रेम है
तुम्हारा कृष्ण के लिए कि
दिल-ही-दिल में है
और ज़बान पर कभी नहीं आता,
चेहरों पर कभी नहीं आता,
हस्ती में, बोल-चाल में,
कपड़ों में, केशों में
कभी नहीं दिखाई देता
ये कैसा प्रेम है?