आप कितने भी आध्यात्मिक हों ....
आप कितने भी आध्यात्मिक हों
लेकिन एक मौका आता है
जब आपको कहना पड़ता है कि,
"अर्जुन, धनुष उठा और तीर चला,
वक़्त आ गया है अब मारने का"।
और अगर आप में सामार्थ्य ही नहीं है
धनुष उठाने की और तीर चला पाने की
, तो फिर आप तैयार रहिए कि
सत्ता दुर्योधन जैसों के हाथ में रहेगी,
उन्हीं के बनाए नियम-कायदे चलेंगे और
फिर दुर्योधन के राज में आप कर लेना
नैतिकता की स्थापना,
धर्म की स्थापना,
अध्यात्म की स्थापना!